vasant panchami : बसंत पंचमी कहे या श्रीपंचमी यह एक बसंत ऋतू यानि माघ महीने के शुक्ल पक्ष पंचमी में मनाने वाला हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है. इस त्यौहार में माँ सरस्वती की पूजा की जाती है. पैराणिक कथा के अनुसार इस दिन माँ सरस्वती का जन्म हुआ था. लोग इस दिन माँ सरस्वती से ज्ञान , बल , बुद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं . माना जाता है की इस दिन माँ सरस्वती को विधि विधान से पूजा कर अति शीघ्र प्रसन्न किया जा सकता है. इस साल बसंत पंचमी 26 अप्रैल 2023 को है.
बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है ?
हिन्दू धर्म में पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी माँ सरवती का जन्म हुआ था. इसी कारण सदियों से चलती आ रही परम्परा के अनुसार इस दिन माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी मनाया जाता है.
बसंत पंचमी का महत्व क्या है ?
बसंत ऋतू आते ही चारों तरफ खुशियों का माहौल छा जाता है. हर तरफ पेड़ पौधे फुल पत्तियाँ खिलने लगती हैं . मानों एक अलौकिक रौशनी
उमड़ गयी हो. इस महीने में मानव के साथ-साथ पशु पक्षी भी उत्साह और उमंग से भर जाते हैं. यु कहे तो पूरा महिना ही खुशियों का दिन
लाता है.
कला संगीत और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती विणाधारिणी की इस दिन को जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. खासकर
कलाकार संगीत कार और समस्त विद्यार्थी के लिए यह पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है.इस पर्व में माँ सरस्वती से ज्ञान और विद्या
के लिए प्रार्थना करते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह पर्व अनेकों प्रकार के प्रेरक घटनाओं को भी याद दिलाता है. इसी महीनें में भीलनी नामक शबरी ने दण्डकारण्य नामक स्थान में प्रभु श्रीराम जी को अपना झूठा बेर खिलाई थी. यह दण्डकारण्य का वह स्थान अभी गुजरात और मध्यप्रदेश में
फैला हुआ है. वही गुजरात के डाँग जिले में शबरी माँ का आश्रम है. शबरी माँ का श्रद्धा है कि प्रभु श्रीराम यही आकर बैठे थे. शबरी माता का मंदिर भी वहां पर बना हुआ है.
पुराने इतिहासकारों कि माने तो चौहानों में भी यह पर्व अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. यह इस बात को याद दिलाता है. कि जब पृथ्वीराज चौहान ने एक विदेशी मोहम्मद गोरी नामक हमलावर को पराजित किया था. परन्तु अपनी दया दृष्टि दिखाकर पृथ्वीराज चौहान ने उस हमलावर
को छोड़ दिया. लेकिन जब अगली बार की लड़ाई में पृथ्वीराज पराजित हुए तो उन्हें मोहम्मद गोरी ने नहीं छोड़ा. वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया.
और वहां ले जाकर बड़ी ही क्रूरता से उनकी आँखे फोड़ डाली. और जब उन्हें मृत्युदंड देने से पूर्व उनका शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा.
उनके साथ कवी चन्दरबाई भी थी. उन्हें एक ऊँचे स्थान में ले जाया गया. उनकी शब्दबेदी बाण को देखने के लिए मोहम्मद गोरी उसकी और
नजर गडाए बैठा हुआ था. तभी कवी चन्दरबाई ने पृथ्वीराज सन्देश दिया. चन्दरबाई का सन्देश सुन पृथ्वीराज चौहान ने जो तीर मारा . सीधा
जाकर मोहमद गोरी के छाती में जा घुसा. उसके बाद पृथ्वीराज चौहान और चन्दरबाई ने भी एक दुसरे को छुरा भौंककर आत्मबलिदान
दे दिया. यह घटना यही बसंत ऋतू के समय घटित हुआ था.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा भी कहा जाता है कि आज के दिन में भगवान कामदेव और देवी रति की भी अपनी अपनी मनोकामना पूरा करने के लिए पूजा अर्चना करते हैं. कहा जाता है कि इस दिन भगवान कामदेव और देवी रति की श्रद्धा भाव से पूर्ण विधि-विधान से पूजा करने पर पति-पत्नी जीवन भर सुखमय जीवन व्यतीत करते हैं. पति-पत्नी के बीच में अनजाने में हुए मनमुटाव कलह सभी दोष ख़त्म हो हाते हैं.
बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त-
पूजा मुहूर्त – 07:12:26 से 12:33:47 तक
अवधि : 5 घंटे 21 मिनट
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न :-
बसंत पंचमी कब है 2023 ?
बसंत पंचमी इस साल 26 फरवरी 2023 को है.
बसंत पंचमी क्या है ?
बसंत पंचमी या श्रीपंचमी एक हिंदी त्यौहार है.
बसंत पंचमी किस दिन है ?
बसंत पंचमी गुरूवार 26 फरवरी को है.
बसंत पंचमी कब मनाई जाती है ?
बसंत पंचमी हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है.
बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व क्या है ?
बसंत ऋतू में वातावरण बिलकुल ही अनुकूल रहत है जैसे न ज्यादा ठण्ड और न ही ज्यादा गर्मी .यह सभी के लिए एक शुभ सन्देश होता है. इस समय में हर पेड़ पौधें में नई-नई फूल खिलते हैं नए नए पत्ते आते हैं जिस्से हर तरफ एक अलग ही तरह का उत्साह भरी पर्यावरण दिखलाई पड़ता है.
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