tota ki kahani : parrot story – एक मुर्ख तोते की कहानी हिंदी में

tota ki kahani: एक राजा था. उसके यंहा एक सुंदर सा तोता था. लेकिन वह तोता बहुत ही मुर्ख था. खूब उछलता था, फुदकता था, उड़ता था , लेकिन यह नहीं जानता था की तहजीब किसे कहते है.

एक दिन राजा बोला — ” तोता किसी काम का नहीं. इससे फायदा तो कुछ नहीं. लेकिन नुकसान जरुर है.

बाग़ के सारे फल खा जाता है. जिससे राजमंडी में फलों  का आकाल  पड़ा जाता है. उसने मंत्री को बुलाया मंत्री आया राजा ने हुक्म दिया.

इस तोते को पढ़ाओ. जिससे इसे कुछ तहजीब आये तोते को शिक्षा देने का काम राजा के भांजे को मिला.

पंडितो की बैठक हुई. उन्होंने सोचा. ” तोते के अनपढ़ रहने का कारण क्या हो सकता है ?

बहुत विचार विमर्ष होने के बाद नतीजा निकला. की तोता अपना घोंसला साधारण घास-फूंस से बनाता है. ऐसे आवास में विद्या नहीं आती है.

इसलिए सबसे पहले तो यह जरुरी है कि क्यों न इसके लिए  कोई बढ़िया सा पिंजरा बना दिया जाए.

राज-पंडितो को भारी दक्षिणा मिली और वे खुश होकर अपने-अपने घर चले गए. सुनार बुलाया गया.

वह सोने का पिंजरा तैयार करने में जुट गया. पिंजरा ऐसा सुंदर बना की उसे देखने के लिए अलग-अलग नगरो के लोग टूट पड़े.

देखने वाले कहने लगे ” इस तोते का भी क्या नशीब है ! ” सुनार को थैलियाँ भर -भर कर इनाम मिला.

पंडित जी तोते को विद्या पढ़ाने बैठे. यह काम थोथी पोथिन्यो का नही है.

राजा के भांजे ने सूना उसने उसी समय पोथी लिखने वालों को बुलवाया. पोथियों की नक़ल होने लागी.

नकलों और नकलों के ढेर लग गए. जिसने भी देखा न उसने बस यही कहा — ” शाबाश !” इतनी विद्या को को धरने  की जगह भी नही रहेगी.

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