Three fishes story: किसी तालाब में तीन मछलियां निवास करती थी. जिनका नाम अनागत-विधाता. प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य था. वे सारे मछलियां परिवार की तरह एक साथ मिलकर रहते थे. हर सुख-दुःख में वे एक दुसरे के काम आते.
एक दिन की बात है. जब मछुवारे मछली पकड़कर उसी रास्ते से गुजर रहे थे जहा इन मछलियों का झुण्ड रहता था. इस तालाब में बहुत से काई अनेको प्रकार के घांस और कमल के तने थी. जिसकी वजह से यह मछलियाँ कभी दिखाई नहीं देती थी.
मगर उस दिन मछलियाँ खेलते हुए तालाब के उपरी सतह पर तैर रही थी तभी वह मछुवारों ने उन मछलियों को देख लिया. वे पहले से ही काफी परेशान थे क्योंकि उन्हें बहुत कम मछलियाँ मिली थी मगर इन मछलियों को देखकर बहुत खुश हुए. और कहने लगे कि देखो साथियों यहां पर बहुत सारे मछिलियों का झुण्ड हैं. यह सब हमें पहले क्यों नहीं दिखा. हमारा तो मानो एक दावत सा बन गया इन मछलियों का. चलो खैर छोड़ो आज शाम हो गई कल ही सुबह आयेंगे और सारी मछलियां पकड़कर ले जायेंगे. हमारी पत्नियां भी देखकर खुश हो जायेंगी.
यह कहकर सारे मछुवारे वहां से चले गए.
यह सब बात अनागत-विधाता नाम की मछली चुपके से सुन रही थी. उनके जाने के बाद वह तुरंत अपने साथियों के पास गई और उनसे कहने लगी कि क्या तुम माछ्लियों ने सुना कुछ मछुवारे क्या बोल रहे थे. अन्य सभी मछलियों ने कहा नहीं हमने कुछ नहीं सुना.
अनागत-विधाता ने कहा….मछुवारे बोल रहे थे कि कल यहां पर हम सभी मछलियों को पकड़ने आयेंगे. अब यह जगह खतरे से खाली नहीं है इसलिए क्षण भर भी देर किये बिना हमें यहां से निकल जाना चाहिए.
यह बात सुन कर यद्भविष्य मछली हंस पड़ी और कहने लगी की. क्या बात करती हो जब खतरा आएगा तब देखा जाएगा हम वर्षों से इस तालाब में निवास करते आ रहे हैं. हमें इस तालाब को छोड़कर कदापि नहीं जाना चाहिए. अगर मरना लिखा है. तो हम कहीं भी जाए मरना तो पड़ेगा ही. इसलिए हम नहीं जायेंगे.
उसकी बातों को सुनकर कुछ मछलियों ने भी कहा सही है हम इस तालाब को छोड़कर नहीं जायेंगे. जो होगा देखा जायेगा.
उसके बाद अनागत-विधाता पुरे परिवार और उसके साथ कुछ मछलियां जो उनके बातों को विशवास किया सब वहां से कहीं दूर चले गए.
अगले दिन जैसे ही सुबह हुआ मछुवारों की एक सेना वहां आ पहुंची और उस तालाब में जाल डालना शुरू कर दिया. उसको देख प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य मछली के साथ बची हुई सभी मछलियां अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे मगर भाग नहीं पाए और सभी मछलियां उनके जाल में फंस गए. मछुवारों ने उन मछलियों को तालाब से बाहर निकाला और अपनी टोकरी में डालने लगे तभी वह मछलियां सूखे में तड़पती हुई अपने साथी अनागत-विधाता की बात याद कर रोने लगी और बहुत पछताने लगी कि काश हम उनका कहना मानते तो हम सब न पकड़ी जाती और हमारी यह दुर्दशा न होती.
यह कहते हुए सभी मछलियां अपनी प्राण त्याग दिये. भागी हुई मछलियां सुख से अपने-अपने परिवार के साथ रहने लगी.
सिख:- इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि. संकट आने के पहले उपाय करने वाला और संकट आने के समयनुसार उसका उपाय करने वाला इन दोनों को सुख प्राप्त होता है. और जो कर्म के महत्त्व को छोड़कर सिर्फ भाग्य के भरोसे रहता है उसका विनाश निश्चित है.
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