the old man his young wife and the thief : बूढ़ा आदमी युवा पत्नी और चोर – पंचतंत्र

the old man his young wife and the thief: किसी नगर में एक बूढ़ा बनिया रहता. अपनी पत्नी के मरने के बाद वह बनिया बहुत सारा धन देकर किसी गरीब स्त्री से शादी कर लिया. धन के लालच में लड़की के माँ-बाप ने उसका चेहरा भी नहीं दिखाया और उस बूढ़े के साथ शादी करवा दी.

जब बाद में पता चला कि वह तो एक बूड़ा है. वह उसको संतुष्ट नहीं कर सकता. इसलिए स्त्री हमेशा घर से बाहर पराये पुरुष पर नज़र लगाए रहती. हमेशा घर से बाहर जाती थी.

तभी एक दिन वह स्त्री जब अपने घर से निकल रही थी. उसी समय एक चोर ने उसे जाते हुए देखा वह चोर उसके पीछे-पीछे चला गया और कुछ दूर जाकर एक सुनसान जगह में उस स्त्री के सामने आकर कहा–” हे स्त्री ! तुम कहां जा रही,अक्सर तुम्हे देखा है तुम अकेले जाया करती हो. तुम्हारे पति कहां है.

उस स्त्री ने अपना सारा दुखड़ा सुनाया. उसकी बातों को सुनकर चोर कहने लगा– “मेरी पत्नी की भी मृत्यु हो गई इसलिए क्या तुम मेरी अर्धांगिनी बनोगी ? ”

यह कहने के बाद वह स्त्री उसकी बातों में आ गई. और कहने लगी. ” हे युवा ! मेरे बूढ़े पति के पास ढेर सारा धन है. इसलिए आज रात को मैं सारे धन को इकठ्ठा कर कल इसी जगह पर मिलेगे.

उसके बाद उस बनिए की पत्नी घर लौट गई. और रात को सारा धन एक  पोटली में रखकर सुबह होते ही उस बनिए के उठने से पहले घर से निकल गई. और उस जगह पहुँच गई जहाँ चोर उसकी राह देख रहा था. अब दोनों एक साथ अपने नगर से बहुत दूर जा चुके थे. जाते-जाते कुछ दुरी पर सामने में एक बड़ी गहरी नदी दिखी उस नदी को देखकर स्त्री बोली अब इस नदी से कैसे पार करेंगे.

इतने में उस चोर के बुद्धी काम करने लगी. और सोचा अगर यह स्त्री मेरे साथ रहेगी तो मैं मुसीबत में पड़ सकता हूँ. इसलिए इसे छोड़कर धन को ले जाऊंगा इसी में मेरी भलाई है.

सोचने के बाद चोर ने कहा– ” हे स्त्री ! मैं इस धन और तुम्हे नदी के उस पार एक साथ तो नहीं ले जा सकता. लेने में कठिनाई होगी. इसलिए पहले इस धन को दो इसे नदी के उस पार रख कर आऊंगा उसके बाद तुम्हे अपने पीठ पर बिठाकर ले जाऊंगा.

वह स्त्री मान गई.

उस चोर ने सारे धन को लेकर नदीं के उस पार गया. मगर वापिस नहीं लौटा और वह स्त्री देखती ही रह गई.

सिख: – इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है हमें कभी भी अपनो का साथ नहीं छोड़ना चाहिए. चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो. क्योंकि जो अपनों का साथ छोड़ता है कभी-कभी उन्हें भी अपने ( जिन पर हम भरोसा करते हैं ) छोड़कर चले जाते हैं.

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