सियार और ढोल पंचतंत्र की कहानी : the jackal and the drum

the jackal and the drum: एक दिन की बात है. जब एक गोमय नाम का सियार हुआ करता था.वह बहुत भूखा-प्यासा था और भोजन की तालाश में इधर-उधर भटक रहा था.

कुछ समय तक चलते-चलते वह बहुत दूर चला गया और वह उसी जंगल में भटक गया जिसमे वह रहता था.और एक निर्जन युद्ध के मैदान में पहुँच गया. उस निर्जन युध्द के मैदान में. हाल ही में एक बहुत बड़ी सेनाओं के बीच लड़ाई हुई थी. लड़ने वाली सेनाओं की एक ढोल वहां पर छुट गया था. उस ढोल से एक अजीब सा शोर सुनाई दे रहा था.

जब सियार ने यह शोर सुना तो वह बहुत ही भयभीत हो उठा. इतनी बड़ी आवाज ऐसे कौन सी जानवर की हो सकती है ! डर से उसने भागने की सोची.

फिर कुछ समय पश्चात उसने सोचा कि ! “अगर मैं यह सब देख नहीं लेता की आंखिर ये आवाज किसकी है. ” पहले यहाँ से भाग निकला तो मैं मुसीबत में पड़ सकता हूँ.

फिर उसने एक दूसरा विचार किया कि बिना जाने परखे किसी चीज से दूर भागना नासमझी है.
इसके बजाय मुझे खुद चलकर इस शोर का पता लगाना चाहिए .

उसके बाद उस सियार ने काफी सतर्कता से आगे बड़ने की हिम्मत दिखाया.
जब सियार उस ढोल के पास पहुंचा और उसने देखा तो महसूस किया कि “अरे ! यह तो केवल हवा थी जो शोर पैदा कर रही थी. मैं बिना किसी वजह  का डर रहा था.

” वहां पर पहले से काफी ढेर सारा भोजन पड़ा था. उस सियार ने सारे भोजन को भरपेट खाया और वहां से निकल गया. ”

सिख:- इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि. हमें बिना किसी वजह के नहीं डरना चहिये हिम्मत से काम लेना चाहिए.

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