suryakant tripathi nirala : suryakant tripathi nirala jeevan parichay

suryakant tripathi nirala: सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जन्म 21 फरवरी 1899 में बंगाल की महिषादल रियासत (जिला मेदिनीपुर) नामक गाँव में हुआ था. एक पंडित के कहनुसार उनका नाम बचपन में सूर्जकुमार रखा गया था. कुछ वजह से उनका जन्म दिन सन्न 1930 से बसंत पंचमी को मनाये जाने की परम्परा हुई. उनकी शिक्षा सिर्फ हाई स्कूल तक ही हो पाई थी.

उनके पिता पंडित रामसहाय तिवारी जी उन्नाव (बैसवाड़ा) के राहने वाले थे. और महिषादल में सिपाही के नौकरी किया करते थे. उनका मूल निवास उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गढ़ाकोला नामक गाँव था. निराला जी का जीवन काफी संघर्षमय रहा.

जब वे तीन वर्ष के थे तो उनके माता का स्वर्गवास हो गया और जब 20 वर्ष के हुए तो उनके पिताजी का निधन हो गया. कुछ समय बाद जब प्रथम महायुद्ध हुआ उसमें उनके (निराला जीका ) पत्नी मनोहरा देवी और उसके साथ-साथ चाचा, भाई और भाभी का भी देहांत हो गया. यह सब हुआ तो मानों उनके ऊपर दुखोंका पहाड़ टूट पढ़ा. उसके बाद निराला जी का सारा जीवन आर्थिक संघर्षों के साथ बिता. उसके बाद निराला जी का जीवन कार्मभूमी में ही अपना कर्म करते हुए बिता. निराला जी का पहला कविता संग्रह “अनामिका” नाम से विख्यात हुआ.

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का मूल नामसूर्यकांत त्रिपाठी
उपनामनिराला
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म21 फरवरी 1899 मिदनापुर (पश्चिम बंगाल)
सूर्यकांत त्रिपाठी जी का निधन15 अक्टूबर 1961 इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)
राष्ट्रीयताभारतीय

उन्होंने सन्न 1942 में इलाहाबाद में रहकर लेखन और अनुवादन का कार्य भी भली-भांति किया. तथा उनका पहला निबंध सन्न 1920 में मासिक
पत्रिका में भी प्रकशित हुआ.

निराला जी हिंदी मुक्तछंद के प्रवर्तक भी माने जाते हैं. और उन्होंने सन्न 1930 में प्रकाशित अपने काव्य संग्रह परिमल नामक कविता में लिखा है–

मनुष्यों की मुक्ति की तरह कविता की भी मुक्ति होती है

अर्थात् — मनुष्यों की मुक्ति कर्म के बंधन से छुटकारा पाना है . और कविता की मुक्ति छंदों के शासन से अलग हो जाना है. जिस तरह मनुष्य कभी किसी तरह दुसरे व्यक्ति के प्ररिकुल आचरण नहीं करता, उसके सभी कार्य औरों के प्रसन्न के लिए होते हैं, फिर स्वछन्द स्वंतंत्र रहते हैं , ठीक उसी तरह कविता का भी हाल है.

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की प्रमुख रचनाएं निम्नुसार है–

काव्यसंग्रह –

  1. अनामिका (1923)
  2. परिमल (1930)
  3. गीतिका (1936)
  4. अनामिका (द्वितीय)
  5. तुलसीदास (1939)
  6. कुकुरमुत्ता (1942)
  7. अणिमा (1943)
  8. बेला (1946)
  9. नए पत्ते (1946)
  10. अर्चना (1950)
  11. आराधना (1953)
  12. गीत कुंज (1954)
  13. सांध्य काकली
  14. अपरा (संचयन)

उपन्यास

  1. अप्सरा (1931)
  2. अलका (1933)
  3. प्रभावती (1936)
  4. निरुपमा (1936)
  5. कुल्ली भाट (1938)
  6. बिल्लेसुर बकरिहा (1942)
  7. छोटी की पकड़ (1946)
  8. काले कारनामे (1950)
  9. चमेली
  10. इन्दुलेखा
  11. तकनिकी

कहानी संग्रह –

  1. लिली (1934)
  2. सखी (1935)
  3. सुकुल की बीवी (1941)
  4. चतुरी चमार (1945)
  5. देवी (1948)

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