shekh chilli ki kahani : तरबूज और चोर – शेख चिल्ली की कहानियां

shekh chilli ki kahani: एक दिन शेख चिल्ली को नींद नहीं आ रहा था. फातिमा बीबी ने उस शाम शेख की अम्मी को एक बड़ा सा तरबूज रखने को दिया था. जो वो इतफ़ाक से उसे घर लाना भूल गई थी.

बस शेख उसी तरबूज के बारे में ही सोचता रहता था. पूरे पिछले हफ्ते अम्मी रोज़ाना कई घंटो के लिए फातिमा बीबी के यहां उनकी बड़ी लड़की की शादी की तैयारी में मदद करने को जाती थी. और हर शाम अम्मी शेख के लिए फातिमा बीबी द्वारा दी गई कुछ न कुछ खाने की चींजे लाती रहती थी.

पहले दिन वो रसीले गुलाब जामुन लायी थी. उसके बाद में खीर और फिर केले. आज अम्मी को एक बड़ा तरबूज मिला था. शेख के मुंह में तरबूज के बारे में सिर्फ सोच कर ही पानी आने लगा. अम्मी को तरबूज का वजन भारी लगा.

इसलिए वो उसे फातिमा बीबी के घर के आँगन में ही छोड़ आई. शेख सुबह जाकर तरबूज को ला सकता था. परन्तु वो तो तरबूज को इसी समय खाने के फिराक में था. उसका भूखा पेट उसे आदेश दे रहा था की तरबूज अभी तुरंत खाया जाए.

शेख अचानक रात के अँधेरे में उठा. उसकी अम्मी गहरी निंद्रा में थी.

वह चुपके से रात के अँधेरे में गांव के सुनसान गलियों में फातिमा बीबी के घर की ओर रवाना हुआ. जैसे ही शेख आँगन की चार दीवारों पर से कूदा उसे सामने अपना तरबूज पड़ा हुआ दिखाई दिया. तरबूज एक कोयले वाले ढेर सारे बोरी के ऊपर पड़ा हुआ था. वह उस तरबूज को उठा कर लेने ही वाला था कि उसे घर के अंदर से आती हुई कुछ आवाज को सुना.

वहां कौन हो सकता है ? घर तो एकदम खाली है. पूरा परिवार तो पास के एक गांव में रिश्तेदारी में गया हुआ था. क्या वे सब जल्दी लौट कर वापिस आ गए थे ? फिर उनके घर के बाहर ताला क्यों लगा हुआ था ?

शेख इन सब बातों के बारें में सोच ही रहा था तभी उसे अपनी ओर आते कुछ कदम सुनाई पड़े.

कराहने की आवाज आई–” हाय राम ! ” वो आवाज लल्लन की थी. उस पहचानने में शेख को कोई दिक्कत हुई नहीं. ”

वह कह रहा था–” मैं उस बेवकूफ शेख चिल्ली को मार डालूंगा. उसकी वजह से ही मेरे पिता ने मुझे इतनी बुरी तरह से मारा है , कि मेरी हड्डी-हड्डी दुःख रही है. और अभी खिड़की से घुसते समय टूटे हुए कांच से मेरा हाथ कट गया है. ”

” अब कराहना बंद भी करो ! ” एक दबी सी आवाज आई. शेख इस आवाज को नहीं पहचान सका.

जैसे ही दोनों लोग नजदीक पहुंचे शेख कोयले के बोरों के पीछे छिप गया. वो कोयलों के बोरों के बीच की झिरी में से उन्हें देखता रहा. लल्लन के साथ कोई बुरी नियत वाला अजनबी भी था कुछ भर कर ले जाने का बात कर रहा था.

अजनबी कह रहा था कि–” जल्दी करो ! चलो फटाफट माल को बांट लेते हैं. ”

जब अजनबी ठीक बोरों के सामने अपनी पीठ करके बैठ गया तभी शेख बेचारा बहुत घबराया. अजनबी ने थैले को लल्लन से छीना और उसके अंदर के सारे माल को जमीन पर उंडेल दिया. जिसमें गले के हार, सोने और चांदी की चूड़ियां , चांदी के गिलास और सोने के सिक्के , हल्की चांदनी में झिलमिलाने लगे.

शेख उन सब गहनों को ताकता रहा. उसे मालूम था कि फातिमा बीबी ने उन्हें अपनी लड़की की शादी के लिए इकठ्ठा किया था. अम्मी ने शेख को उनमें से हर एक के बारे में बताया था. और अब यह दोनों उन गहनों को चुरा रहे थे.

लल्लन चोरों की भांति धीरे से आवाज में उसका विरोध किया—” तुमने आधे से ज्यादा हिस्सा ले लिया है. ”

उसके बाद उस अजनबी ने लूट का थोड़ा सा और हिस्सा उसकी ओर बढ़ा दिया.

अजनबी ने घुर्राते हुए कहा–” गनीमत है ! कि तुम्हें इतना माल मिल रहा है , नहीं तो मेरे बिना तुम्हारी घर में चोरी करने की हिम्मत ही नहीं होती. ”

लल्लन ने फुसफुसाते हुए इधर-उधर बैचैनी से देखते हुए कहा–” यह घर भुतहा है , और तो और कुछ लोग अब भी इस घर को भुतहा मानते हैं. तो चलो इससे पहले कि भूत हमें पकड़े हम यहां से भाग लेते हैं. ”

अजनबी हंसा उसकी हंसी में चालाकी छिपी थी. अगर तुम लूट का कुछ और हिस्सा चाहते हो तो अपने तरबूज को भी ले जाओ. ”

अजनबी ने कोई तीन-चौथाई सोने और चांदी को थैले में भरा. बाकी को अपनी जेबों में भरते समय वो कुछ बड़बड़ा रहा था. लल्लन ने खड़े होकर तरबूज को उठाने की कोशिश करा. परन्तु बोरों के पीछे से शेख चिल्ली भी तक खड़ा हो गया था और तरबूज को अपनी पूरी ताकत से पकड़े हुए था.

और जैसे ही शेख की उंगलियां , लल्लन की उंगलियों से टकराई वैसे ही लल्लन को अपनी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा धक्का लगा.

भूत ! ” वो बड़बड़ाया ” भू…..  भूत !

शेख बोरों से टिककर तरबूज को कसकर पकड़े रहा. कोयले के दो बोरे अचानक लुढ़के और लल्लन और उस अजनबी के ऊपर जाकर गिरे.

अब लल्लन ने सारी सावधानी को ताक पर रख दिया.  वो जोर से चिल्लाया—” भूत ! ”  ” भूत ! ”

डरा हुआ शेख चिल्ली भी ज़ोर से चिल्लाया. ” भूत ! चोर ! भूत  ”

इससे पहले कि दोनों चोर भाग पाते भीड़ जमा हो गई. कोयले की धूल में सने दोनों चोर को कोतवाली ले जाया गया. लल्लन अभी भी बड़बड़ा रहा था , ” भूत ! भूत ! ”

एक पड़ोसी फातिमा बीबी के परिवार के वापिस आने तक लूट के गहनों की पहरेदारी करता रहा.

शेख को लोग हीरो जैसे उसके प्यारे तरबूज के साथ घर वापिस पहुंचाने के लिए गए.

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