rat marriage story: किसी वन में याज्ञवल्क्य नाम का एक ऋषि रहता था. वह पूजा अनुष्ठान के लिए गंगा में स्नान कर अपना आश्रम लौट रहा था.
उसी समय आसमान से बाज के मुह से एक चुहिया ऋषि के हाथों पर गिर गई. वह ऋषि उस नन्हीं सी चुहिया को पीपल के पत्ते पर रखकर उसके स्पर्श के कारण दोबारा स्नान करने चला गया.
स्नान करने के बाद उस चुहिया को अपने तपोबल से एक सुन्दर कन्या के रूप में बदल दिया. और उसे लेकर अपने आश्रम की ओर चला गया.
कुछ समय बाद आश्रम पहुंच कर उस कन्या को अपनी निःसंतान पत्नी को दिया और कहा–” ये लो एक नन्हीं सी बच्ची आज से ये तुम्हारी पुत्री है. इसे अच्छे से पाल-पोशकर रखना.
उसकी पत्नी उस बच्चे को देखकर बहुत खुश हो गई. अपने छाती से लगाकर उससे प्रेम करनी लगी. और उसे अपनी बच्ची के रूप में स्वीकार कर ली.
समय बीतता गया. और देखते ही देखते बारह वर्ष के बाद वह बच्ची अब बड़ी हो गई.
ऋषि के पत्नी ने अपने पति से कहा कि. ” हे स्वामी ! अब हमारी पुत्री बड़ी हो गई. ” इसलिए क्यों न इसका विवाह किया जाये. आप इसके लिए कोई अच्छा सा वर ढूंड कर लाईये.
उसकी बातों को सुनकर ऋषि ने कहा. ” हे अर्धांगिनी ! तुम ठीक कहती हो. ” कल प्रात: काल ही मैं सूर्यदेव से बात करूंगा. अगर हमारी पुत्री को पसंद आये तो उनसे विवाह कर दूंगा.
अगले सुबह ही ऋषि अपने तपोबल से सूर्यदेव का आव्हान किया.
शीघ्र ही सूर्यदेव उसके सामने प्रकट हो गए. और कहने लगे. ” हे ऋषि ! आपने मुझे बुलाया बताइये क्या है ?
ऋषि ने कहा. हे सूर्यदेव यह मेरी पुत्री. है अगर इसकी इच्छा हो तो आपसे विवाह करेगी. यह कहने के बाद ऋषि ने अपनी पुत्री से पूछा. पुत्री क्या तुम सूर्यदेव से विवाह करोगी ? ”
उसने जवाब दिया — नहीं पिता श्री ! ये बहुत जलते हैं और इनकी अग्नि सहन करने योग्य नहीं है. इसलिए कोई अच्छा दूसरा वर लेकर आईये.
उसकी बाते सुनने के बाद ऋषि ने सूर्यदेव से पूछा — ” हे सूर्यदेव ! क्या आपसे कोई अच्छा वर मिलेगा. ”
सुर्यदेव ने कहा– ” हे ऋषि ! मुझसे अच्छा वर बादल है जिससे मैं ढक जाता हूं. और दिखाई भी नहीं पड़ता. ”
अब ऋषि ने बादल को बुलाकर कन्या से कहा– ” पुत्री ! क्या यह बादल तुम्हे पसंद है ? ”
उसने कहा– ” हे पिताश्री ! यह बादल कितना काला और जड़ है. इसलिए मुझे इससे अच्छा किसी और वर को लाइए. ”
मुनि ने बादल से पूछा — ” हे बादल ! आपसे भी बढकर कोई है ? ”
बादल ने कहा– ” मुझसे बढकर वायु है. जो अपनी तेज गति से मुझे बहा कर हजारों टुकड़े कर देता है. ”
यह सुनकर मुनि ने वायु को बुलाया और कहा– ” पुत्री ! क्या यह वायु विवाह के लिए तुम्हें ठीक से जंचता है ? ”
उसने कहा–” हे तात ! यह अत्यंत ही चंचल है. एक जगह रुकता नहीं है. इलसिए इससे भी अच्छा कोई और वर ढूंड कर लाइए. ”
मुनि ने कहा– ” हे वायु ! क्या आपसे भी बढकर कोई अच्छा है ? ”
वायु ने कहा–” मुझसे बढ़कर पहाड़ है. जिससे बलवान होने पर भी मुझे रोक लेता है. ”
पहाड़ को बुलाकर मुनि ने कहा–” पुत्री ! मैं तुझे इसे देता हूँ. ”
उसने कहा–” तात ! यह पहाड़ कठोर और अचल है. इसलिए मुझे किसी दुसरे को दीजिये. ”
मुनि ने पहाड़ से पूछा–” हे पहाड़ ! क्या आपसे बढ़कर कोई अच्छा है. जिससे मेरी पुत्री को पसंद आये ? ”
पहाड़ ने कहा–” हे मुनिवर ! मुझसे बढ़कर चूहे हैं. जो अपनी ताकत से मुझे छेद डालते हैं. ”
अब मुनि ने चूहे को बुलाकर उसे दिखाया और कहा–” पुत्री ! क्या तुम इस चूहे के राजा मुषकराज से विवाह करोगी ? ”
उस चूहे को देखकर अपनी जाति होने के कारण एक अपना सा लगाव हुआ. और मन ही मन हर्षित होने लगी.
उसने कहा–” हे तात ! मुझे चुहिया बनाकर इसे दे दीजिये. जिससे मैं अपने जातिधर्म के अनुसार गृहस्थी चला सकूँ. ”
मुनि ने अपने तपोबल से दोबारा उसे चुहिया बनाकर……उस मूषकराज के साथ विवाह कर दिया .
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