raja rani kahani : raja rani story in hindi – राजा रानी की कहानी

raja rani kahani : एक समय की बात है एक राज्य में एक सुंदर सा राजकुमार रहता था. उनका विवाह बहुत ही जल्द एक सुंदर सी राजकुमारी के साथ होने वाली थी.

इसी की तैयारी में पूरे राजमहल को अनेकों तरह के फूलों से सजाया गया था.

राजकुमार अपने कक्ष में ही सोते-सोते राजकुमारी के ख्वाब देख रहे थे, बाहर मौसम बहुत ही रंगीनमय था, राजकुमार जब खिड़की से बाहर की ओर झांका तो उसे इस सुहाने मौसम में राजकुमारी से मिलने की इच्छा जाहिर की.

इसलिए उन्होंने ने अपने राजमहल से सभी से छुपते-छुपाते एक घोड़े को पकड़कर उसमें बैठ गए और अपने महल से दूर राजकुमारी से मिलने चले गए.

जाते हुए बीच रास्ते में उन्हें पानी प्यास लगी. राजकुमार पानी की तालाश में किसी जलाशय की खोज करने लगे.

कुछ समय में उन्हें एक जलाशय दिखाई दी, वह जलाशय के पास पानी पीने के लिए गए , मगर जलाशय पूरा सूख चूका था ,राजकुमार बहुत दुखी हुआ बहुत मुश्किल से तो जलाशय मिला था ,मगर उसमें एक बूंद भी पानी था नहीं .

उसके बाद राजकुमार भटकते-भटकते किसी झोपड़ी के पास पहुंच गया ,बगल में एक कुंवा था , जिसमें से राजकुमार पानी निकालकर पीने लगा.

उसी समय एक बुढ़िया उस झोपड़ी से बाहर आई ,और कही–” बेटा ! यह तुमने क्या किया ? यह कुवां एक श्रापित कुवां है , इसमें का कोई भी पानी पीता नहीं है ,अब तुम हर रात को एक नरभक्षी बन जाओगे.

उसके बाद तुम्हें कुछ भी याद नहीं रहेगा ,तुम्हारे सामने कोई भी होगा उसे तुम खाने के लिए उस पर हमला कर दोगे. “

इस पर राजकुमार ने कहा–” हे माता ! इसका कोई उपाय है क्या ? ” आप ही इसका कुछ तोड़ बता सकती हैं. “

बुढ़िया ने कहा–” बेटा ! इसका सिर्फ एक ही उपाय है , यहां से पांच कोस दूर एक पहाड़ है जिसमें एक संजीवनी बूटी नाम की पौधा हैं जिसके रस को पीने से इस श्राप से मुक्ति मिल सकती है. “

और कहा–” बेटा ! लेकिन तुम्हें रात के समय किसी अच्छे से जगह में छूपना पड़ेगा ,अन्यथा तुम किसी को भी हानि पहुंचा सकते हो. “

राजकुमार ने कहा–” ठीक है माता जी. “

यह कह कर वहां से राजकुमार निकल गया.

अब राजकुमार थोड़ा चिंतित हो गए कि पहले राजकुमारी से मिलने जाए कि पहले अपने श्राप से मुक्ति पाए , उसे कुछ समझ में आ नहीं रहा था , संजीवनी युक्त पौधों वाला पहाड़ भी बहुत दूर था.

कुछ समय में अंधेरा होने ही वाला था ,और वे नहीं चाहते थे कि कोई अपने हाथों से मारा जाए , इसलिए राजकुमार अपने आप को छुपाने के लिए जंगल के किसी गुफा में चले गए , जहां एक खूंखार आदमखोर भेड़िया रहता था जिसके आंतक से पूरा राज्य कांपता था ,पहले से ही पांव जमाये बैठा हुआ था .

राजकुमार को देखकर वह आदमखोर भेड़ियाँ गुर्राने लगा . और उसे खाने के लिए उसके ओर बड़ने लगा ,उसे अपने ओर आते देख राजकुमार डर गया , कि कहीं यह आदमखोर भेड़ियाँ मुझे खा न ले.

तभी रात हो ही गई, और राजकुमार देखते ही देखते मनुष्य से एक नरभक्षी में बदल गया , उसे नरभक्षी में बदलते देख भेड़ियाँ घबरा गया और वहीं पर रुक गया.

भेड़ीयें को देख नरभक्षी रूपी राजकुमार उसकी ओर बड़ने लगा और जोर-जोर से गुर्राने लगा. उसकी आवाज से भेड़ियाँ डर के मारे वहीं बेहोश हो गया और उसे नरभक्षी रूपी राजकुमार खा गया.

अगले सुबह राजकुमार पुनः अपने असली रूप में आ गया , और वहां से उस पहाड़ की ओर निकल गया.

गुफा से निकलते हुए गांव केकुछ लोग राजकुमार को देखे और उसके पास जाकर उसे पूछने लगे–” हे वीर पुरुष आप कौन हैं ? जो इस भयानकगुफा से आ रहे हैं , इस गुफा में तो एक खूंखार आदमखोर भेड़ियाँ रहता है , तुम्हे कुछ नहीं किया क्या ? “

राजकुमार बोले–” नहीं ,मुझे तो कुछ नहीं किया , वह वही गुफा में मरा पड़ा है. “

यह बात सुनकर गांव वाले आश्चर्य में पड़ गए और उसे देखने के लिए उस गुफा में गए और जब पास जाकर देखा कि सच में वह खूंखार आदमखोर भेड़ियाँ वहीं मरा पड़ा है.

यह बात पूरे राज्य में फ़ैल गई कि एक आदमखोर जानवर को एक मामूली से लड़के ने मार दिया है ,जिसे आजतक किसी ने मार न सका था.

उस राज्य का राजा उसे शीघ्र ही अपने राजभवन में बुलाते हैं. और उसे धन्यवाद कहकर कहते हैं–” हे वीर पुरुष ! आज तुमने मेरे राज्य को उस आदमखोर भेड़िये से मुक्ति दिलाई है ,तुम्हारा पराक्रम सराहनीय है.

अत: तुम जो मांगो वो मुझसे मांग सकते हो. “

राजकुमार ने कहा–” हे राजन ! यह तो मेरा कर्त्तव्य था , मुझे कुछ नहीं चाहिए. राजा फिर भी अपनी ख़ुशी से राजकुमार को एक जादुई कालीन भेंट में देकर कहता है–” हे वीर पुरुष ! यह छोटा सा भेंट हमारी तरफ से, तुम जहां भी जाओगे, इससे तुम्हें जाने में आसानी होगी यह जादुई कालीन तुम्हें तुम्हारे मंजिल तक कुछ ही समय में पहुंचा देगी. “

भेंट स्वीकार कर राजकुमार उस कालीन पर बैठकर शीघ्र ही रात होने से पहले उस पहाड़ की ओर चला गया.

और कुछ ही समय में उस पहाड़ के पास पहुंच गया. और उस संजीवनी पौधें को ढूढने लगा ,रात होने ही वाली थी , तभी एक चमकता हुआ पौधा दिखाई दिया.

वह समझ गया की यही संजीवनी पौधा होगा. वह शीघ्र ही उस पौधे से रस निकालकर पीने लगा. साथ-ही साथ अंधेरा भी हो गया , पर वह राजकुमार बिलकुल ठीक हो चुका था.

और उसी समय कालीन पर बैठकर राजकुमार अपनी राजकुमारी से मिलने के लिए चला गया.

उसे देखकर राजकुमारी बहुत खुश हो गई.

और अगले दिन ही उन दोनों का विवाह हो गया.

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