pyasa kauwa: दोस्तों आज हम पढ़ने वाले हैं एक कौवे की शिक्षाप्रद कहानी. यह कहानी एक कौवें पर आधारित है जो विषम परिस्थिति में भी हार न मानकर दृण निश्चय कर कठिन समय में भी सफलता प्राप्त करती है.
हमें इस छोटे से कौवे से कुछ सिख मिलना अति सौभाग्य समझना चाहिए.
दोस्तों चलिए चलते हैं इस कहानी की ओर और जाने क्या हैं इसकी पूरी कहानी ….
एक बार एक कौवा पानी प्यास से तड़प रहा था. कड़कती धूप में कौवा पानी की तालाश में इधर-उधर भटकने लगा.
बहुत समय तक ढूढ़ने पर भी उसे पानी का एक बूंद भी कहीं मिला नहीं. प्यास से व्याकुल बेचारा कौवा के प्राण मानो निकलता जा राह था. उसे लगा आज तो मेरा अंत निश्चित है.
कौवें ने फिर भी हार नहीं माना और कड़ी धूप में पानी की तलाश ज़ारी रखा. तभी कुछ दुरी पर उसे एक पड़ा छोटा सा मटका दिखाई दिया.
जैसे ही कौवें ने उस मटके को देखा उसकी प्यास और बढ़ने लगी. और तुरंत मटके के नजदीक जाने लगा और पानी पीने के लिए अपनी चोंच को उस मटकी के अंदर डालने लगा.
उसकी चोंच पानी तक पहुंच नहीं पाया. पानी इतना था नहीं कि उसकी चोंच पानी तक पहुंच पाए.
यह देख कौवा बड़ा ही उदास हुआ और सोचने लगा इतनी देर में पानी मिल पाया है , मगर मेरी पहुंच से दूर है.
तभी उसे एक युक्ति सूझी उस कौवें ने पास में पढ़े छोटे-छोटे कंकड़ को धीरे-धीरे करके उस मटके में डालने लगा. जिससे थोड़ी देर में ही पानी ऊपर की ओर आ गया. और कौवें ने जी भर के पानी पिया.
और इस तरह से एक प्यासा कौवा ने अपना प्यास बुझाया .
सिख : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो हमें अपने आप पर विश्वाश कर हिम्मत और धैर्य से काम लेना चाहिए.
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