machhali ki kahani: बहुत पुरानी बात है एक छोटा सा लड़का रहता था. जिसे मछली पकड़ना बहुत ही शौक था. वह रोजाना मछली पकड़ने जाता था.
लेकिन उसने आज तक एक भी मछली नहीं पकड़ी थी. हाँ , ठंड से उसे जुखाम ज़रूर हुआ था. बस एक दिन को छोड़कर. और शायद तुम उस बात पर कभी यकीन नहीं करो.
एक दिन उसने मिटटी में से कुछ केचुए खोदे और उन्हें एक डिब्बे में डाला फिर उसने पेड़ की एक लम्बी टहनी ली वो बनी उसकी मछली पकड़ने की बंशी.
उसने टहनी को अपने कंधे पर रखा. और फिर वो मछली पकड़ने चला गया. वो अपने पसंदीदा स्थान पर पहुंचा. जहाँ उसने पहले कभी कोई मछली नहीं पकड़ी थी.
उसने कांटे में केंचुआ लगाया. और फिर कांटे को पानी में डाला. फिर उसने इंतज़ार किया.
वो बहुत देर तक इंतज़ार करता रहा. फिर उसने एक भीमकाय मछली को आते हुए देखा.
वो मछली चारों ओर गोल-गोल , गोल-गोल , गोल-गोल घुमती रही,उसने कांटे पर लगे हुए केचुए को देखा.
फिर उसने अपनी पूंछ हिलाई. फिर वो मछली चारों ओर गोल-गोल ,गोल-गोल , गोल-गोल ,गोल-गोल घूमी. और फिर वो जंहा से आई थी. वंही वापिस लौट गई.
छोटा सा लड़का इंतज़ार करता रहा. इंतज़ार करता रहा. वो बस इंतज़ार ही करता रहा. फिर एक बहुत विशाल मछली आई.
वो मछली चारों ओर गोल-गोल,गोल-गोल, घुमती रही. उसने कांटे पर लगे हुए केचुए को देखा फिर उसने अपनी पूंछ हिलाई,फिर वो मछली चरों ओर गोल-गोल घूमी.
और फिर दोबारा वो जन्हा से आई थी वंही वापिस लौट गई.
उसके बाद फिर एक छोटी मछली आयी ठीक उसी तरह गोल-गोल घुमती रही..पूंछ हिलाई और वंहा से चली गयी. बेचारे छोटे लड़के ने दुखी होकर तय किया की उस दिन के बाद से वो कभी भी मछली पकडने नही जाएगा.
फिर उसने अचानक से नीचे की ओर देखा. कि उसने पानी में भीमकाय मछली को फिर से वापस आते हुए,,
वो मछली चारों ओर गोल-गोल,गोल-गोल, घुमती रही, उसने कांटे पर लगे हुए केचुए को देखा , उसने अपनी पूंछ लहराई ,उसने केचुए को खा लिया.
उसके बाद छोटे लड़के ने उस भीमकाय मछली को पानी से बाहर खींचा. और फिर उसे एक टोकरी में रखा जिसे उसने पेड़ के निचे रखा था.
इस उम्मीद में की शायद कभी कोई मछली उसकी पकड़ में आये. फिर उसने कांटे एक और केचुए लगाया. उसने कांटे को पानी में डाला.
फिर वो विशाल मछली दुबारा वापस आई. यह चारों ओर गोल-गोल घूमी,उसने कांटे में लगे केचुए को देखा. फिर उसने अपनी पूंछ लहराई.
फिर उसने केचुए को खाया उसके बाद छोटे से लड़के ने उस विशाल मछली को पानी से बहार खींचा और उसे उसी टोकरी में रख दिया.
ठीक उसी तरह अपने कांटे में केचुआ दुबारा लगाया,,और इंतज़ार करता रहा. और बहुत जल्द ही छोटी मछली फिर से आई.
छोटी मछली चारों ओर गोल-गोल , गोल-गोल घुमती रही. उसने कांटे पर लगे केचुए को देखा. उसने अपनी पूंछ लहराई. उसने केचुए को सूंघा.
छोटा लड़का बहुत शांत बैठा और सोचता रहा. जल्दी करो ,छोटी मछली ,जल्दी से केचुआ खाओ, फिर मैं घर जाऊँगा ‘ और मई पाने मम्मी पापा को वो सब मछलियाँ दिखाउंगा जो मैंने आज पकड़ी हैं.
पर छोटी मछली ने केचुए को नही खाया. वो देखती ही रही. फिर वो मछली वंहा से चली गयी.
फिर वो छोटे से लड़के ने उस दोनों मछली को पकड़ कर घर की ओर वापिस चला गया.
जब वह घर गया. तो उसकी माँ ने मछलियाँ देखी. मछलियाँ देखकर बहुत खुश हुई.
माँ ने उन्हें साफ किया और उन्हें रात के खाने के किये पकाया. छोटे लड़के के पिता ने विशाल मछली को खाया. माँ ने बहुत बड़ी मछली को खाया और छोटे लड़के ने सबसे बड़ी भीमकाय मछली को खाया. क्योंकि वो बहुत भूखा था.
जब वे भोजन कर रहे थे. तो छोटे लड़के ने बताया कि उसने वो मछलियाँ कैसे पकड़ी. और कैसे उस छोटी मछली ने कांटे पर लगे केचुए को नही खाया.
फिर वे सभी इस बात पर हंस पड़े की वो छोटी मछली. कैसे भाग निकली.
टिप:-तो दोस्तों कैसे लगी ये कहानी एक छोटे से लड़के की आप जरुर बताईयेगा. और कमेंट के जरिये सोशल मीडिया पर ज़रूर शेयर करें धन्यवाद.
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