lalchi bhoot wali kahani : एक गांव में रामू नाम का एक व्यक्ति रहता था. उसके पास एक ठेला था जिसमें समोसे कचौड़ी रखकर गांव-गांव में घूमकर बेचा करता था.
उसके समोसे इतने अच्छे होते थे कि आस-पास के सभी गांव वाले उसकी तारीफ किये बगर रह नहीं पाते थे. और भर-भर कर समोसे लेते थे.
रोज की तरह रामू समोसे बेचकर शाम को अपने घर लौट आता था. मगर एक दिन कुछ समोसे बच गए और रात भी हो गई थी.
तब उसने सोचा कि आज तो थोड़े समोसे बच गए हैं और काफी रात भी हो गई है. मुझे जल्दी से घर जाना होगा मेरी पत्नी अकेली मेरी रह देख रही होगी.
यह सोचकर समोसे वाला रामू अपने घर जल्दी पहुंचने एक जंगल का रास्ता चूना सोचा इसमें बहुत जल्दी ही घर पहुँच जाऊंगा.
अब रामू अपने ठेले को जंगल की तरफ घुमाकर उस रास्ते से जाने लगा. रात का समय था. जंगल का रास्ता था. एकदम अंधेरा. सुनसान सड़क रात में जंगल की पेड़ों के वजह से और भी अंधेरा दिखाई दे रहा था.
तभी कुछ दूर जाकर रास्ते पर अचानक उसकी ठेला रुक गई.
यह देखने के लिए रामू जब ठेला के आगे की ओर देखने जाता है तो देखता है कि एक भूत रास्ते पर लेटा हुआ है. उसकी बड़ी-बड़ी लाल-लाल आंखे ,बड़े-बड़े दांत सफ़ेद कपड़े में लिपटा हुआ था.
ठेले की टक्कर से भूत जाग उठता है और कहता है–” अरे ! कौन है तू जो इस रास्ते से आ रहा है तुझे पता नहीं की यहाँ पर हम भूतो का राज है. क्या मरने के लिए आया है ? ”
रामू उसे देखकर डर के मारे कांपने लगता है. और भागने की कोशिश करता है मगर उसका पैर वहीं पर रहता है. उसे लगता है कि मैं भाग रहा हूं.
भूत अपनी नज़र से उसकी तरफ करके घूरता है जिससे रामू , हवा में लटक आता है.
रामू कहता है–” भूत जी भूत जी ! मुझे छोड़ दो मैंने क्या किया है ? ”
भूत कहता है–” अरे मूर्ख ! तूने मुझे सोते हुए जगाया है इसलिए तुझे हमेशा-हमेशा के लिए सुला दूंगा. ”
यह कहते हुए भूत उसे नीचे गिरा देता है. वह रामू धड़ाम से नोचे गिर जाता है.
और कहता है–” भगवान् के लिए मुझे छोड़ दो. पर भूत तो भूत हैं उसकी बात कहां माने. ”
तभी अचानक भूत की नज़र उसके ठेले पर रखे समोसे की ओर जाता है. और वह समोसे को पकड़कर खाने लगता है.
खाते हुए कहता है–” वाह ! अति आनंद आ गया , क्या समोसे है. ” और कहता है–” मैं इतने दिन से मनुष्य को खाते-खाते बोर हो चुका हूं. अब से ये समोसे रोज खाऊंगा. ”
यह कहकर भूत रामू से कहता है–” अरे ! यह समोसा तो बहुत स्वादिष्ट है. इलसिए तुम रोज मेरे लिए यहां पर लाना. नहीं तो तुझे मैं कच्चा चबा जाउंगा. ”
यह कहकर भूत रामू को छोड़ देता है. और रामू वहां से चला जाता है. घर पहुंचकर अपनी पत्नी को सारी बात बताता है.
और अगले दिन ज्यादा समोसे बनाते हैं जिससे भूत को दे सके. रामू अपने ठेले को पकड़कर समोसे बेचने चला जाता है. और शाम होते ही बहुत से समोसे को बचाकर उस भूत के पास ले जाता है.
भूत रामू को आते देख ख़ुशी से नाचने लगता है और कहता है–” अरे ! समोसे वाले अगर तू नहीं आता तो तेरे घर जाकर तुझे और तेरी पत्नी को खा जाता. ”
इस पर रामू कहता है–” नहीं-नहीं भूत महराज ! मैं रोज आऊंगा. और आपको समोसा दिए बिना नहीं जाऊंगा. ”
वह लालची भूत समोसे को खूब खाता है. और कहता है–” ठीक है जाओ ! कल इसी समय आ जाना. ”
रामू हां कहकर वहां से चला जाता है.
रोज इसी तरह से रामू खूब समोसे बनाकर उस भूत को दे आता .दिन बीतते गए . और रामू का सारा सामान ख़त्म हो गया. जिससे भूत के पास समोसे न ले जा सका. उस रात रामू और उसकी पत्नी डर से सो भी नहीं पाए की भूत कहीं आकर हमें खा न ले. दोनों एक दुसरे को देखते हुए जागने लगे.
तभी अचानक आधी रात को वह भूत आकर उसके ठेले में बैठ गया. और कहा–” अरे ! रामू कहां गये हो. इधर आओ. मुझे समोसा दो नहीं तो घर अंदर घुसकर तेरे को खाऊंगा. ”
रामू भूत की आवाज से डर जाता है. और धीरे से दरवाजा खोलकर देखता है. तभी भूत उसके दरवाजे के बाहर उल्टा सर करके लटका रहता है. ”
उसे ऐसा देखकर रामू और उसकी पत्नी डर जाते हैं. और कहते है–” भूत महराज ! हमारा सारा सामान ख़त्म हो गया था. इसलिए आपके लिए समोसे नहीं ले पाया. ”
भूत उनकी बातों को सुनकर कहता है–” ठीक है ! मैं तेरे लिए ढेर सारी सामान अभी देता हूं. और तू मेरे लिए रोज समोसे लाकर देना. ”
यह कहकर भूत तुरंत अपनी छड़ी घुमाई और वहां पर ढेर सारी खाद्य सामग्री प्रकट हो गई.
अब रामू रोज इसी तरह खूब समोसे बनाकर गांव-गांव बेचता और शाम को उस लालची भूत के पास ले जाता.
और वह भूत खूब समोसे खाकर रामू से बाते करता.
” अब रामू और भूत दोनों दोस्त बन गए “
और ज्यादा समोसे बेचने से रामू भी काफी अमीर बन गया.
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