kumhar ki kahani: किसी नगर में युधिष्ठिर नाम का एक कुम्हार रहता था. वह शराब के नशें में दिन-रात धुत्त रहता था.
वह कुम्हार एक दिन शराब पीकर घर आ रहा था. तभी पास में पड़े टूटे हुए मिट्टी के घड़े में गिर पड़ा और उसका सर फट गया. उसका पूरा सर खून से लतपथ हो गया. मुश्किल से उठकर घर के अंदर गया.
बाद में अच्छा ध्यान न देने की कारण से उसका घांव भरता गया और बहुत दिनों के बाद ठीक हुआ. फिर भी उसके सर में घांव का निशान रह गया.
कुछ दिन बात उस नगर में आकाल पड़ गया और वहां से सभी लोग दुसरे गांव जाने लगे. वह कुम्हार भी अन्य लोगों के साथ किसी दुसरे नगर चला गया और वहां जाकर एक राजा का सेवक बन गया.
एक दिन राज सभा में राजा उस कुम्हार के सर में घांव को देखा और मन ही मन सोचने लगा कि–“अरे ! यह कोई बहुत बड़ा राजपूत शूरवीर होगा जो. अवश्य ही किसी बड़ी युद्ध सेना में लड़ा होगा इसलिये इसके सर पर इतना बड़ा घांव है. ”
उस दिन से राजा उस कुम्हार को अपने मंत्रियों और राजपूतों से भी ज्यादा उस पर कृपा दृष्टि रखने लगा. इस बात पर सभी मंत्री और राजपूत उस कुम्हार से इर्ष्या करने लगे मगर राजा के भय से उसे कुछ कह नहीं सकते थे.
अगले दिन उस राज्य में किसी दूसरे राज्य के शत्रु राजा से युद्ध होने वाली थी. इसलिए सभी सैनिक तैयार होने लगे. हाथियों को सजाने लगे. घोड़ों पर साज पड़ने लगे.
ठीक उसी समय राजा उस कुम्हार के पास जाकर पूछा–” हे वीरपुरुष ! क्या लड़ाई में तेरे सर पर यह चोट लगी थी ? ”
कुम्हार कहता है–” नहीं महराज ! यह हथियार की चोट नहीं है. मैं तो जात का कुम्हार हूं. मेरे घर में बहुत से टूटे हुए मिट्टी के घड़े बिखरे हुए थे. जब एक दिन शराब पीकर आ रहा था कि अचानक मेरा पैर फिसला और उस टूटे हुए मिट्टी के बर्तन पर गिर पड़ा. ये उसी का घांव है |
यह बात सुनकर राजा बहुत लज्जित हुआ और गुस्से से उस कुम्हार की ओर देखते हुए कहा–” अरे दुष्ट नीच जाति का तुमने मुझे धोका दिया है पहले से क्यों नहीं बताया की तू एक नीच जाति का है. भाग जा यहां से नहीं तो तुझे मृत्यु दंड मिलेगी. ”
कुम्हार कहता है –” महराज ! मैं नीच जाति का हूं तो क्या हुआ ? एक बार मेरे इन बाजुओं का बल तो देख लो . युद्ध मैदान में मैं अनेकों शत्रु को ढेर कर सकता हूं.और आपके लिए अपना प्राण भी त्याग सकता हूं . ”
इस पर महराज कहता है–” अरे ! चाहे तू कितना ही बड़ा शूरवीर होगा. कितना ही गुणवान सर्वसम्पन्न होगा मगर है. तो नीच जाति का एक कुम्हार इसिलिए चला जा यहां से. नहीं तो राजपूतो और मंत्रियों को पता चलेगा तो तेरा सर धड़ से अलग कर देंगे.
उसके बाद वह कुम्हार उस राज्य को छोड़कर चला गया.
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