jadui matka : magic pot story – जादुई मटका की कहानी

jadui matka: एक गांव में लखन नाम का एक गरीब किसान रहता था. उसकी एक छोटी सी खेत थी. जिसमें दिन भर कड़ी मेहनत करता रहता था.

फिर भी उस बंजर जमीन में उसके और उसके परिवार के लिए खाने के लिए पूर्ण अनाज प्राप्त होता नहीं था.

लखन और उसकी पत्नी अपना पेट काट-काट कर एक समय का खाना न खाकर अपने बच्चों को खिलाते थे.

एक दिन लखन भूखा हारा अपनी खेत कुछ पौधों को बोने के लिए गया था. पौधों को जगाने के लिए लखन अपनी कुदारी से बंजर जमीन को खोदना शुरू किया. बारिश न होने की वजह से बंजर जमीन भी काफी सख्त हो गया था. बड़ी मुश्किल से थोड़ा सा गड्डा खोद पाया था.

फिर भी लखन उस कड़ी धूप में गड्डे खोदता ही रहा.

अंतिम में उसने थक हारकर घर जाने की सोची मगर उसके कुदारी पड़ने पर जमीन से कुछ आवाज आई. उसने देखा कि एक बहुत ही पुराना बड़ा सा मटका उस जमींन के अंदर गड़ा हुआ है. उसने उस मटकी को जमीन से बाहर निकाला.

लखन सोच में पड़ गया कि अरे ! इतना बड़ा मटका किसने इस जमीन में गाड़ा होगा ? चलो इसे घर ले जाऊंगा कुछ न कुछ काम तो आ ही जाएगा.

यह सोचकर लखन ने उस मटके पर ज्यादा ध्यान न देकर मटके को पास के एक आम के पेड़ के नीचे रख दिया. और अपने काम में दुबारा लग गया.

कुछ समय में कड़ी धूप पड़ने लगी. भूख और पानी प्यास से व्याकुल लखन पानी पीने के लिए पेड़ के नीचे रखे अपनी भोजन की पोटली के पास गया और लखन खाना खाकर थोड़े समय के लिए वहीं विश्राम करने लगा.

जब लखन आम के पेड़ के छाँव में सोया हुआ था.

तभी उसके सर पर एक पका हुआ आम गिर जाता है. जिसे लखन उठाकर उस मटकी पे रख दिया ,और जब थोड़ी देर में उठकर देखता है कि मटकी आमों से भरा पड़ा है.

उसे देख लखन अचंभित हो जाता है. कि इतने सारे आम इस मटके में आया कहां से , उसने सोचा कोई बच्चे मस्ती करते हुए इस मटके में ढेर सारे आम को रख दिए होंगे. इस पर ध्यान न देते हुए लखन आम से भरे मटकी को उठाकर अपने घर ले गया.

उसकी पत्नी उसे देखकर बहुत खुश हो गई. और सारे आम को निकालकर एक जगह रखकर मटकी को रसोई के एक किनारे में रख देती है.

और जब लखन की पत्नी सुबह उठकर देखती है कि मटका पूरा अनाज से भरा पड़ा है,उसे यकीन नहीं हुआ वह अपने पति को चिल्लाई और कही–” देखो यह मटका अनाज से भरा हुआ है. यह कैसे हो सकता है ? “

लखन को बात समझ नहीं आई.

उसने सोचा जरुर इस मटके में कुछ तो है. यह मटका साधारण नहीं हो सकता ,इसलिए कल यह मटका आमों से भर गया था.

इसका पता लगाने के लिए लखन ने मटके से सारे आनाज को निकाला और उसमें एक कद्दू को डाल के देखा. मटके से कद्दू भर गया.

यह देख लखन और उसकी पत्नी बहुत खुश हुए और कहा–” अरे ! यह तो जादुई मटका है. “

और लखन अपनी पत्नी से कहा–” भाग्यवान लगता है भगवान ने हमारी सुन ली है , अब हमारे दुःख के दिन बीत गये हैं.

यह कहकर लखन भगवान को मन ही मन प्राणाम किया.

उसके बाद लखन रोज उस मटके में कुछ न कुछ डालता उसमें से जो भी निकलता उसे बाज़ार में बेचकर खूब मुनाफा कमाता. इस तरह से लखन कुछ ही दिनों में अपने गांव का सबसे धनी व्यक्ति बन गया.

यह देख गांव वाले सोचने लगे अरे. इस गरीब लखन का ऐसा क्या किश्मत चमका जो रातो-रात इतना अमीर बन गया. यह खबर गांव में मुखिया तक पहुंच गई. जो बहुत ही लालची किस्म का था.

उसनें तुरंत अपने नौकरों से कहा–” जाओ उस लखन को मटका के साथ मेरे पास बुलाकर ले आओ अगर नहीं माना तो जबरदस्ती ले आना. “

मुखिया की आदेश पाकर उसके नौकर लखन के घर पहुंचते हैं. लखन को मुखिया का आदेश बताकर उसे मटका सहित मुखिया के पास ले आते हैं.

मुखिया उस मटके को देख आश्चर्य चकित हो जाता है और कहता है–” अरे इतना बड़ा और इतना पुराना मटका मैंने आज तक ऐसा मटका देखा नहीं था. “

मुखिया ने उसमें एक सोने के सिक्के डाल के देखता है. तो उसमें से देखते ही देखते ढेर सारे सिक्के निकलते हैं.

यह देख उसके नौकर भी लालच के मारे उस मटके को लेने का प्रयास करते हैं. और उस मटकी पर सभी नौकर झपट पड़ते हैं.

जिससे छिना-छानी में मटका टूट जाता है.

मुखिया के साथ-साथ सभी नौकर भी मटका के टूटने पर दुखी और हताश हो जाते हैं.

मटकी को टूटते देख लखन थोड़ा सा भी निराश नहीं होता है.

” क्योंकि वह इस मटकी का लोभी नहीं होता है , वह अपने परिश्रम के प्रति निर्भर रहता है .  “

लखन को अब और कुछ चीज की कमी भी नहीं थी.

वह सुख से अपना जीवन व्यतीत करने लगा.

सिख:- इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए.

लालच का फल हमेशा बुरा ही होता है. हमें अपने परिश्रम पर निर्भर रहना चाहिए.

फल की चिंता किये बिना लगातार मेहनत करते रहना चाहिए. कहते हैं न सब्र का फल मीठा होता है.

यह भी पढ़ें

Leave a Comment