jadui machli : jadui machli ki kahani – जादुई मछली

jadui machli ki kahani: एक समय की बात है किसी गांव में मोहन नाम का एक मछुवारा रहता था. उसकी पत्नी और तीन बच्चे थे. मोहन की आर्थिक स्थिति भी उतनी अच्छी नहीं थी. मुश्किल से घर का गुजारा चल पाता था.

एक दिन मोहन रोज की तरह मछली पकड़कर अपना घर आ रहा था.

इसी बीच अचानक मौसम खराब गया. आंधी-तूफ़ान जोर-जोर से चलने लगी,बादल गरजने लगा. और भयंकर बारिश शुरू हो गई.

मोहन अपनी बचाव के लिए पास के एक तालाब के पास गया जहां बरगद का पेड़ था. मोहन उस पेड़ पर अपने आप को इस तरह से चिपका लिया कि बारिश की एक भी बूंदे न पड़ सके. और ठण्ड से उसका बदन भी कंपकपा रहा था. जोरों से सर्दी आ चुकी थी.

उसे ऐसा लग रहा था. मानव अभी यहां पर कोई आग मिल जाए जिससे उसमें तपकर थोड़ी राहत मिल सके. किन्तु उस भरी तूफ़ान और बारिश मेंकहां मिल पाता. मोहन इसी तरह कुछ समय के लिए पेड़ पर चिपका रहा.

तभी तालाब से उसे कुछ आवाज सुनाई दिया.

मछुवारे ने उससे कहा–” कौन हैं भाई जो इतने बारिश तूफ़ान में चिल्ला रहा है. अगर तुम्हे भी बारिश से बचना है तो इस पेड़ के नीचे आ जाओ ”

यह कहने पर दुबारा उस तालाब से आवाज आई—” अरे मछुवारे ! मैं तलाब से मछलियों की रानी जादुई मछली बोल रही हूँ. ”

यह सुनकर मछुवारा अचंभित हो गया. उसे विश्वास नहीं हो रहा था की एक मछली कैसे बोल सकती है ?

कुछ समय में जादुई मछली तालाब से बाहर निकली और उसे कहने लगी–” मछुवारे ! तुम्हारी दुर्दशा मुझे पता है. इसलिए तुम घबराओ मत मैं एक जादुई मछली हूँ. तुम्हारी मदद करने के लिए ही यहां आई हूँ.

मछुवारा कहता है–” हे जादूई मछली ! मैं तो एक मछुवारा हूँ. रोज मछलियों को मारता हूँ. फिर भी तुम मेरी मदद क्यों करना चाहती हो ? ”

जादुई मछली कहती है–” मछुवारे ! सब अपनी-अपनी कर्म के अनुसार ही कार्य करते हैं. इसमें कोई गलत नहीं है. ” इसलिए तुम्हें एक राज की बात बताती हूँ. इस तालाब में मेरी सैकड़ों स्वर्ण मछलियाँ हैं. जिसके पेट में सोना निकलता हैं. इसलिए तुम रोज दोपहर के समय आकर एक-एक करके मछली ले जाना. जिससे तुम्हारा जीवन अच्छा से कट सके.

यह कहकर जादुई मछली वहां से चली गई.

और कुछ ही देर में बारिश भी बंद हो गई.

वह मछुवारा ख़ुशी-ख़ुशी से अपने घर की ओर चला जाता है. घर पहुंचकर सारी बात अपनी पत्नी को बताता है. वह भी बहुत बहुत खुश हो जाती है.

वह मछुवारा अगले दोपहर को उस तालाब के पास जाकर एक मछली ले आता है. और उसमें से सोना निकालकर बाज़ार में उसे बेच आता. जिससे ढेर सारे खाद्य पदार्थ उन्हें मिल जाते थे.

उस दिन से मछुवारा और उसका परिवार सुख से रहने लगा. उनको खाने पीने की कोई समस्या नहीं होती थी.

इसी तरह मछुवारा रोज तालाब जाकर एक मछली ले आता. और उसे बाज़ार में बेचकर अपना जीवन चलाता था.

तभी एक दिन मछुवारा सोचता है कि–” मैं रोज एक-एक करके सोने की मछली ला रहा हूँ. इससे तो सिर्फ मेरे परिवार का ही गुजारा हो पाता है. फिर भी वही रोजाना मछली पकड़ने का काम करना पड़ता है.और इस छोटी सी झोपडी में रहना पड़ता है. इसलिए क्यों न मैं एक साथ ढेर सारी स्वर्ण मछलियों को पकड़ लूं . जिससे बहुत जल्द धनवान बन जाऊँगा और मुझे काम भी नहीं करना पड़ेगा.

यह सोचकर मछुवारा अपनी पत्नी के साथ दुसरे दिन एक बड़ी सी जाल को लेकर उस तालाब की ओर चला जाता है. और अपना जाल उस तालाब में चारों ओर से फैलाकर खींचता है. उसके जाल में बहुत सी छोटी-छोटी स्वर्ण मछलियाँ फंस जाती है. और तड़प-तड़प कर अपनी जान दे देती हैं.

यह सब देख उनकी रानी जादुई मछली वहां पर आती हैं. और अपने मछली साथियों को देखकर बहुत दुखी हो जाती है.

इस पर जादुई मछली मछुवारे को कहती है–” मछुवारा यह तूने क्या अनर्थ कर दिया ? ” इतने सारे निर्दोष मछलियों को मारकर अच्छा नहीं किया. इसका फल तुझे अवश्य भोगना पड़ेगा.

यह कहकर मछली वहां से चली जाती है. उसकी बातों को सुनकर मछुवारा अपनी पत्नी से कहता है–” प्रिये ! इस मछली पर ध्यान मत दो यह क्या कर लेगी ? हमें तो स्वर्ण मछली मिल चुकी है तो इससे क्या डरना ? ”

यह कहते हुए मछुवारा सभी मछलियों को पकड़कर अपनी पत्नी के साथ घर चला जाता है.

दोनों पति-पत्नी स्वर्ण मछलियाँ लाकर बहुत प्रसन्न हुए और एक दुसरे से कहने लगे आज इतने सारे सोने की मछली इन सबके पेट से सभी सोने को निकालकर शहर में बेच आयेंगे जिससे ढेर सारे रूपये मिलेंगे.और हम इस राज्य के धनवान बन जायेंगे. हमारे पास सैकड़ों नौकर-चाकर होंगे. सैकड़ों घोड़े-गाड़ी होंगी.

हमारा भी एक महल होगा. हम स्वर्ण से लदे अच्छे-अच्छे कपड़े पहनेंगे.

यह कहते हुए दोनों पति और पत्नी बहुत खुश थे.

मगर जैसे ही मछलियों के पेट को फाड़ना शुरू किया. उनके पेट में छोटी-छोटी पत्थर के अलावा कुछ भी नहीं मिला.

यह देख मछुवारा बहुत दुखी हुआ और सभी मछलियों को काटकर देखने लगा कि कहीं किसी मछली में तो स्वर्ण मिल जाए. मगर उसे एक भी मछली में नहीं मिला. दोनों पति-पत्नी यह देखकर बहुत दुखी हुए. मछलियाँ भी काटने के वजह से बेकार हो गई उसे फेंकना पड़ा.

तब सामने से वह जादुई मछली प्रकट हुई और कहने लगी–“मछुवारा मैंने कहा था. रोज एक स्वर्ण मछली ले जाना ताकि तुम्हारा जीवन सुख से बित सके. मगर तुम्हारे लोभ ने आज तुझे ही खा लिया. मैं तुम्हें श्राप देती हूँ. आज से तेरे जाल पर एक भी मछली नहीं फसेंगे. तुम भूखे मर जाओगे. ”

यह कहकर जादुई मछली वहां से गायब हो गई.

मछुवारा अपनी करनी पर पछताता हुआ. रो पड़ा और सोचा–” काश लोभ न करता तो आज मैं और मेरा परिवार सुख से रह पाता. “

सिख:-इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि. हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए. हमें जितना मिले उतना में ही संतुष्ट रहना चाहिए. अति का लोभ करना विनाश का कारण हो सकता है.

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