jadui ghada: एक समय की बात है. एक गांव में मोहन नाम का एक गरीब किसान रहता था. उसके पास एक ही छोटी सी खेत थी. जिसमें मोहन दिन भर मेहनत करता और उसमें जितना भी मिलता उसी से खुश रहता.
उसके घर में मोहन और उसकी पत्नी सिर्फ दो ही लोग थे. फिर भी उन्हें खाने के लिए लाले पड़ जाते. उनकी ग़रीबी स्थिति इतनी ख़राब थी कि. कभी-कभी एक वक्त का खाना भी नशीब नहीं होता था. और वैसे ही बिना खाए खाली पेट सो जाते थे.
इसी तरह इनका गुजारा होता था. मोहन रोज की तरह अपने खेत में काम करने गया था. कुछ पौधों को लगाने के लिए मोहन कुदारी से जमीन को खोद रहा था. कि अचानक जमीन के अंदर से एक आवाज आई.
उसने सोचा कि–” क्या हो सकता है ? ”
इसलिए उसने जमीन को थोड़ा और खोदना शुरू किया.
और कुछ ही समय में उस जमीन के अंदर से एक घड़ा दिखाई दिया. उसने उस घड़े को वहां से निकालकर ऊपर रखा.
मोहन उसे देखकर सोचने लगा–” अरे ! कितना सुन्दर घड़ा है. काम करने के बाद इसको मैं अपने घर ले जाऊँगा. ”
यह सोचकर उसने उस घड़े को पास के एक आम के पेड़ के नीचे रख देता है. और अपने काम में दोबारा लग जाता है. और जब खाना खाने का समय हो जाता है तब वह उस पेड़ के नीचे जाकर खाने लगता है.
जब मोहन खाना खा रहा था. तब उसके सामने पड़ी मटकी पर एक पका हुआ आम पेड़ से गिरता है. खाना खाने के बाद मोहन उस आम को खाने के लिए घड़े के पास जाता है. तब वह देखता है कि घड़ा पूरा आम से भरा हुआ है. उसको यकीन नहीं आता कि यह भरा कैसे. इस पर उसने ध्यान नहीं दिया.
और कहा–” कोई बच्चे लोग होंगे जो शरारत करते इस घड़े को आम से भर दिये होंगे.
यह सोचकर मोहन आम से भरे घड़े को उठाकर अपने घर की ओर चला गया.
घर पहुंचने के बाद अपनी पत्नी को उस आम से भरे घड़ा को देता है .
उसकी पत्न्नी सभी आम को घड़े से निकालकर एक किनारे में रख देती है. और दोनों पति-पत्नी खाना खाकर सो जाते हैं.
जैसे ही सुबह हुआ. मोहन की पत्नी रसोई की ओर जाती है. वह देखती है की घड़ा अनाज से भरा हुआ है. यह देख आश्चर्य में पड़ जाती है. की घड़ा कैसे भर गया.
अपने पति को बुलाकर कहती है –” देखो तो जी ! यह क्या हुआ है. कल रात को मैंने इस घड़े को यहां पर खाली रखा था. मगर आज सुबह ये अनाज से भरा पड़ा है. ”
उनको समझ में नहीं आता की ये हुआ कैसे.
तब मोहन की नज़र घड़े के ऊपर थोड़े से रखे अनाज का गिरता हुआ उस घड़ा की ओर जाता है. अब मोहन पूरी तरह से समझ जाता है कि यह कोई मामूली घड़ा नहीं हैं एक जादुई घड़ा है. इस बारे में मोहन अपनी पत्नी को खेत में उस मटके पर गीरे आम के बारे में बताता है. और वह समझ जाती है.
अब वे दोनों उस जादुई घड़े को पाकर बहुत खुश जाते हैं.
अब मोहन रोज अनाज और अन्य खाद्य पदार्थ उस घड़े में डाल देता है और उससे बहुत सारा अनाज और खाद्य पदार्थ पाकर उसे बाज़ार में बेच आ आता.
इस तरह से मोहन का काम चलता रहता. और कुछ दिन में ही मोहन उस गांव का सबसे धनि व्यक्ति बन गया. उसके बारे में पूरे गांव में चर्चा होने लगी. मोहन ने बहुत जल्द एक बड़ा सा घर भी बनवा लिया.
यह सब देख उसके एक पड़ौसी मिट्ठूलाल नाम का व्यक्ति उससे बहुत इर्ष्या करता था. उसने सोचा कि इस मोहन को कुछ दिन पहले ही खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी. फिर अचानक यह क्या हुआ जो रातो रात इतना धनवान बन बन गया.
यह सोचकर उसके मन एक बुरा विचार उत्पन्न हुआ. कि पता लगाया जाय कि उस मोहन का ऐसा कौन सा राज है. जिससे वह इतनी जल्दी अमीर बन गया.
अब वह मिट्ठूलाल उसी रात को उसके घर के खिड़की के पास जाकर चोरी-चुपके से उसकी ओर नज़र गड़ाए ध्यान से देखता है. तभी मोहन और उसकी पत्नी उस घड़े में थोड़ा सा अनाज डालते हैं और देखते ही देखते ढेर सारा अनाज उसमें भर जाता है.
यह देख कर मिट्ठूलाल समझ जाता है. अब उनके सोने का इन्तजार करता है.
और कुछ ही समय में मोहन और उसकी पत्नी खाने के बाद सोने चले जाते हैं.
उनके जाने के बाद मिट्ठूलाल चुपके से घर के पीछे के दरवाजे से अंदर घुस जाता है. और उस मटके को उठाकर अपने घर ले जाता है. घर पहुंचते ही उसने मटके में एक सिक्के को डाल के देखता है. उसमें ढेर सारे सोने के सिक्के भर जाते हैं.
मिट्ठूलाल अब लोभवश उसमें सारे सिक्के को ठूस-ठूस कर भर देता है ताकि एक साथ ज्यादा से ज्यादा सिक्के निकले और वह तुरंत अमीर बन सके मगर होता क्या ?
ज्यादा सिक्के डालने से वह मटका टूट कर वहीं बिखर गया और उस जादुई मटके के टूटने के साथ ही सारे सोने के सिक्के चूर-चूर होकर राख बन गए.
मिट्ठूलाल यह सब देख बहुत दुखी हुआ. और अपना माथा पकड़कर रोने लगा.
और कहा–” अरे मैंने यह क्या कर दिया ज्यादा पाने की इच्छा से लोभवश मैंने मटकी को ही फोड़ डाला.
यह कहता हुआ मिट्ठूलाल बहुत रोने लगा और रात भर वहीं पड़ा रहा.
मोहन जब सुबह उठकर देखता है कि उसका जादुई मटका गायब है. वह मन ही मन सोचता है कि. शायद मटका कहीं गायब तो नहीं हुआ होगा.
तभी उसके पड़ौसी मिट्ठूलाल कि खबर मिलती है कि वह एक मटके के फूटने से पागल हो गया है.
मोहन अब पूरी बात समझ जाता है. और कहता है–” लालच का फल हमेशा बुरा ही होता है . ”
यह भी पढ़ें –