jadui chakki : jadui chakki ki kahani – जादुई चक्की की कहानी

jadui chakki : एक समय की बात है. एक गाँव में भोला और घनश्याम नाम के दो भाई रहते थे. भोला अपने नाम की तरह बहुत भोला था. जब उनके पिता जी ख़त्म हो गए. तब सारा जायदाद उसके बड़े भाई यानी घनश्याम ने हड़प लिया.

उसमें से एक भी हिस्सा छोटे भाई (भोला) को नहीं दिया. बड़ा भाई घनश्याम अपने पिता जी के दौलत से आराम से घर पर ही बिना कुछ काम करे सुख से रहने लगा.

उसके विपरीत उसका छोटा भाई भोला दौलत न मिलने पर अपने बड़े भाई को कुछ न कह सका. और गरीबी की जिंदगी जीता था. अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी भी जुटा पाना उसके लिए मुश्किल हो गया था.

लकड़ियों को काटकर उसे बाज़ार में बेच आता. और उससे जितना भी उसे रूपये मिलते उसी से उसके परिवार का गुजारा होता था.

इसी तरह से उसका जीवन गुजरता था.

तभी एक दिन दीपावली का पर्व आया. उस दिन भोला के बड़े भाई के घर में दीप के रौशनी से घर जगमगा उठा था. सभी नए-नए कपड़े और गहने पहन रखे थे.

इधर उसका गरीब छोटा भाई भोला के घर में गरीबी का अंधेरा छाया हुआ था. उनके बच्चे और पत्नी भूख से व्याकुल तड़प रहे थे. मगर घर में अन्न का एक दाना भी न था. भोला को अपने परिवार की यह दुर्दशा देखी नहीं गई. मगर करे तो करे क्या ?

इस पर उसकी पत्नी ने कहा–” जाओ अपने बड़े भाई से कुछ उधार मांग लाओ. हमारी नहीं तो कम से कम बच्चों का फ़िक्र करो. ”

यह बात सुनकर भोला को बहुत दुःख हुआ और अपना मन मारता हुआ अपने बड़े भाई के घर चला गया.

छोटे भाई को आते देख दूर से ही घनश्याम कहने लगा–” अरे ! क्या है भोला , आज तू मेरे घर किसलिए आया है ? ”

भोला कहता है–” बड़े भाई ! मुझे कुछ उधारी दे तो. मेरे बच्चे बहुत भूखे हैं. कल ही तुम्हे लौटा दूंगा. ”

घनश्याम कहता है–” अरे ! जा तू यहां से. मेरे पास कुछ नहीं है तुझे देने को. ”

यह सुनकर भोला बेचारा बहुत दुखी हो जाता है. और अपनी हक़ की बात करता है. और कहता है–” तो ठीक है ! पिता जी के धन का आधा हिस्सा पर मेरा हक़ है. आज मुझे उसकी बहुत जरुरत है. इसलिए तुम वही धन मुझे दे दो. ”

यह बात सुनकर घनश्याम छोटे भाई भोला पर गुस्सा हो जाता है. और ऊंची आवाज में कहता है–” तुम्हे शर्म नहीं आती. कोई इस तरह से अपने बड़े भाई से बात करता है. ”

यह कहते हुए उसे अपने घर से निकाल देता है.

अब भोला बेचारा दुखी मन से उदास होकर अपने घर की ओर चला जाता है. उसके घर जाने के रास्ते में जंगल पड़ता था. जाते हुए उस रास्ते में भोला एक बूढ़ी औरत को देखता है जिसके बगल में लकड़ी का एक गट्ठा पड़ा रहता है. भोला सोचता है अगर मैं उस लकड़ी को उसके घर तक पहुंचा दूँ तो कुछ रूपये मिल जायेंगे जिससे अपने बच्चों के लिए कुछ खाना ले जाऊं.

यह सोचकर भोला उसके पास जाकर कहता है–” माता जी तुम्हारे लकड़ी के गट्ठे को तुम्हारे घर तक लेने में तुम्हारी मदद करूँ. उसके बदले में तुम मुझे कुछ रूपये दे देना. ”

वह बूढ़ी औरत कहती है–” ठीक है बेटा ! ले चलो. और इसके बदले कुछ रूपये ले जाना. ”

अब भोला लकड़ी के गठ्ठे को उसके घर तक पहुंचा देता है. उसके बदले में वह बूढ़ी औरत उसे कुछ रूपये देती है. मगर भोला खुश न होता उदास होकर सोचता रहता. कि इतने में तो खाने नहीं आ पायेंगे. उसकी उदासी देखकर बूढ़ी औरत उसे पूछती है क्या हुआ बेटा ? इतने उदास लग रहे हो ? ”

भोला अपनी दुखभरी सारी बात उसे बता दी.

उसकी बात सुनकर वह भी दुखी हो गई. और कहने लगी–” बेटा ! ये लो मीठे-मीठे लड्डू इसे तुम ले जाकर यहाँ से कुछ दुरी पर तीन बड़े-बड़े पेड़ दिखाई देंगे उसी के पीछे एक गुफा मिलेगा. उसमें तीन बौने रहते हैं. ये मीठे लड्डू उन्हें दे देना. इसे देखकर वो खुद तेरे से मांगने लगेंगे. और इसके बदले में तुम उनसे एक चक्की मांग लेना. ”

भोला मीठे लड्डू को लेकर उस गुफा की ओर चला जाता है,जाते हुए कुछ दुरी पर उसे वही तीन पेड़ दिखाई देता है. उसके पीछे एक गुफा भी. भोला मीठे लड्डू को हांथ पे रखकर गुफा के अंदर की ओर चला जाता है. वहां जाकर उसे तीन बौने बात करते हुए दिखाई देते हैं.

बौने उसे देख कहने लगे–” अरे ! तुम कौन हो ? और किसलिए आये हो ? ”

उसने कहा–” मित्रों ! मैं आपके लिए ये मीठे लड्डू लाया हूँ. बौने जैसे ही मीठे लड्डू को देखे उनको रहा न गया.

और कहने लगे–” अगर तुम हमें मित्र कहते हो तो उस लड्डू को हमें दे दो इसके बदले तुम जो चाहो हमसे मांग सकते हो. ”

भोला कहता है–“ठीक है तो इसे ले जाओ मगर इसके बदले मुझे एक चक्की दे दो. ”

बौने उसे मीठे लड्डू के बदले चक्की को दे देते हैं. और कहते हैं–“देखो मित्र ! यह कोई मामूली चक्की नहीं है. इसे जो कुछ तुम मांगो वह तुम्हें मिल जायेगा. और जब जरुरत पूरी हो जाये तब इसे एक लाल कपड़े से ढक देना जिससे चक्की बंद हो जायेगी. ”

अब भोला उस चक्की को उठाकर ख़ुशी-ख़ुशी से अपने घर की ओर चला गया. और जब घर पहुंचा.

उसे देख उसकी पत्नी कहने लगी–” बच्चे भूखे मर रहें हैं और तुम कहां चले गए थे. और ये क्या है जिससे तुम ढककर लाये हो ? ”

भोला चक्की से कपड़े को निकालकर कहता है–” अरे भाग्यवान ! यह चक्की है. एक जादुई चक्की इससे जो कुछ भी मांगो. वह सामने प्रकट हो जाती. ”

यह कहकर उसने चक्की से कहा–” चक्की-चक्की चावल निकाल. जैसे ही भोला ने यह कहा उसके सामने ढेर सारे चावल आ गए.

उसके बाद सब्जी दाल के लिए कहा–” चक्की-चक्की दाल निकाल. उसके सामने तुरंत दाल के ढेरो लग गए.

इस तरह भोला खाने के सारे सामान को मांगने लगा. यह देख उसकी पत्नी और बच्चे बहुत खुश हुए. और कई वर्षों बाद भरपेट खाना खाकर सो गए. ”

और जैसे ही सुबह हुआ उसने बहुत सारे अनाज और अन्य खाद्य पदार्थ मांगकर उसे बाज़ार में बेचने लगा. इसी तरह रोज मांगकर अनाजों को बेचकर भोला उस गाँव का सबसे धनी व्यक्ति बन गया. इससे उसका मान-सम्मान बढ़ता गया.

यह सब देख उसके बड़े भाई घनश्याम को इर्ष्या होने लगी की यह भोला इतना बड़ा धनवान कैसे बन गया ? कुछ दिन पहले तो इसके पास खाने तक कुछ थे नहीं. इसके पास अचानक इतना धन आया कहां से. जरुर दाल में कुछ काला है.

यह सब सोच कर घनश्याम ने एक योजना बनाई कि इसकी राज का पता लगाया जाए.

अब वह घनश्याम उसी रात को उसके घर के पास जाकर चोरी-चुपके खिड़की से झांककर देखने लगा. उसने देखा कि–” भोला और उसकी पत्नी चक्की से कह रहे थे कि–” चक्की-चक्की अनाज निकाल. कहते ही वहां ढेर सारे अनाज प्रकट हो गए. ”

यह देख घनश्याम अचंभित हो गया. उसकी राज का पता चल गया. अब वह घनश्याम उनके सोने का इंतजार कर रहा था. ताकि चक्की को चोरी कर सके.

और कुछ समय बाद भोला और उसकी पत्नी सोने चले गए.

उनके जाने के बाद घनश्याम चुपके से खिड़की को तोड़कर अंदर चला गया. और उस जादुई चक्की को उठाकर अपने घर ले गया.

घर पहुंचने के बाद अपनी पत्नी से कहता है–” भाग्यवान ! चलो जल्दी करों सारे सामान को बांधो और बच्चों को पकड़ो हम यहां से कही दूर जा रहे हैं.

अचानक उसकी बातों से पत्नी घबरा गई और पूछने लगी–” क्या है ?  अचानक कहां जाने की बात करते हो. और तुम्हारे हांथ में ये चक्की कैसी ? ”

घनश्याम कहता है–” अरे ! पूछने का समय नहीं हैं तुम चुपचाप सामान बांधो और बच्चे को पकड़ो और चलो यहां से. ”

यह कहते हुए घनश्याम उसके परिवार को लेकर विदेश जाने लगा. जाने के लिए उसने एक नाविक से उसे पैसा देकर जहाज ख़रीदा. और उसमें बैठ गए. फिर पत्नी को रहा न गया. कि आंखिर मांजरा क्या है.

उसने दुबारा अपने पति से पूछा–” अब बताओ भी किसलिए हम भाग रहे हैं ? ”

घनश्याम कहता है–” देखो ! भाग्यावान यह चक्की कोई ऐसी-वैसी चक्की नहीं है. एक जादुई चक्की है. इसे तुम जो भी मांगो. वह सामने आ जाती है. इसे लेकर हम विदेश में बहुत अमीर बन जायेंगे.

उसकी पत्नी ने कहा–” नहीं ! मुझे यकीन नहीं हो रहा है. ”

उसे यकीन दिलाने के लिए उसने जादुई चक्की से कहा–” चक्की-चक्की नमक निकाल…जैसे कहा वहां से नमक निकलना शुरू हो गया. निकलता ही जा रहा था.

इस पर उसकी पत्नी ने कहा–” अब बस बंद करों नहीं तो हमारी नाव डूब जायेगी ”

अब घनश्याम कहता है बंद हो जा चक्की बंद हो जा. मगर बंद होता कहां घनश्याम चक्की को बंद करना जानता नहीं था. उसने आधा-अधूरा ही देखा था. उसे नमक निकलता ही रहा.

” नमक इतना ज्यादा हो गया कि उसके वजन को नाव सह नहीं पाया और डूब गया उसके साथ-साथ घनश्याम और उसका परिवार भी डूब कर मर गया . “

सिख: -जिसने भी कहा है सही कहा है कि. लालच बुरी बला है.

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