jackal story : सियार की रणनीति – पंचतंत्र की कहानियां

jackal ki kahani: किसी वन में महाचतुरक नाम का एक सियार रहता था. एक समय जब वह सियार जंगल में भ्रमण कर रहा था तभी रास्ते में उसे एक मरा हुआ हाथी मिला.

सियार बहुत प्रसन्न हो गया और कहा–” अरे ! आज तो मेरा दावत ही दावत है इस विशाल हांथी का मांस खाकर मैं हष्ट-पुष्ट और बलवान बन जाऊंगा. सियार उस हांथी के मांश को खाने के लिए लालायित होकर उसने काटने की कोशिश कि मगर मोटी चमड़ी होने की कारण उसका दांत टूट गया और कांट न सका. ”

ठीक उसी समय उसके सामने से एक शेर आ गया शेर को देखते ही सियार उसके सामने जाकर घुटने के बल बैठ गया और कहा–” हे स्वामी ! मैंने इस हांथी को मारकर आप ही के लिए रखा है. आप इसकी मांस खाकर मेरे पर कृपा करें. ”

शेर कहता है–” नहीं-नहीं ! मैं किसी दुसरे के मरे हुए शिकार को नहीं खाता. इसलिए इसे तुम ही खाओ. ”

और वह शेर चला गया. सियार सोचा–“चलो ठीक हुआ.

शेर तो चला गया.

मगर इस मोटी चमड़ी वाले हाथीं को कैसे कांटू ? ताकि खा सकूं. ”

इतना सोचना हुआ था कि सामने से एक बाघ आया.

सियार उसे देखकर सोचा–” अरे ! मैंने शेर को तो खुशामद करके भगा दिया. मगर इस बाघ को कैसे भगाऊं. यह अति बलवान है. इसलिए बिना छल के यह नहीं भाग सकता. ”

यह सोचने के बाद बाघ के पास गया और कहा–” अरे मामा ! तुम मौत के मुंह क्यों आ गए हो ? ”

शेर ने इस मरे हुए हांथी को मेरे निगरानी में छोड़कर स्नान करने के लिए नदीं गया है. और मुझे हुक्म दिया है कि–”  यदि कोई आकर मेरे भोजन पर नज़र गड़ाई तो चुपके से मुझे खबर कर देना. ”

इससे पहले एक बाघ ने शेर के रखे हुए मांश को खा लिया था. उस दिन से शेर बाघों पर बहुत क्रोधित होते हैं .

सियार की इन बातों को सुनते ही बाघ सियार से कहा–“! देखो भांजे , यहां मेरे आने कि खबर शेर को मत देना. नहीं तो मुझे मार डालेगा.

यह कहते ही बाघ वहां से तुरंत भाग खड़ा हुआ. वह बाघ भाग तो गया मगर सियार की उस मांस को काटने की दुविधा अब भी थी. उसने सोचा की अब क्या किया जाए. उसके थोड़ी देर में ही सामने से एक चीता आ रहा था.

उसको दूर से ही देखकर सियार सोचने लगा–” अरे ! यह चीता मजबूत दाँतों वाला है. इसके द्वारा हाथीं का मांस चीरे. और खाए भी न. ऐसा मैं क्या करूं?

यह सोचने के बाद उसने चीता से कहा–” अरे भांजे ! तू बहुत दिनों के बाद दिखाई दिया. तू बहुत भूखा मालूम लगता है. इसलिए यह शेर द्वारा मारा गया हांथी का मांस है. शेर जब तक न आये इसमें से कुछ मांस के टुकड़े को खा कर तृप्त हो जा. ”

उसने कहा–“मामा ! अगर शेर आ गया तो मुझे जिन्दा नहीं छोड़ेगा. मेरी अकाल मृत्यु हो जायेगी. इसलिए मैं नहीं खा सकता. ”

सियार ने कहा–” नहीं भांजे ! शेर अभी नहीं आएगा. बहुत दूर नदीं स्नान करने गया है. और अगर आता है तो मैं दूर से देखकर तुझे इसकी खबर कर दूंगा और तुम भाग जाना.

इतना विशास दिलाने के बाद वह चीता हाथीं के मोटी चमड़ी को तुरंत ही चीरकर अलग-अलग कर दिया. और उसे खाने ही वाला था कि सियार दूसरी तरफ मुड़कर घबराते हुए कहने लगा–” अरे भांजे ! भागो. जल्दी से भागो वह शेर आ रहा.

चीता उसकी बात सुनकर तुरंत वहां से भाग खड़ा हुआ. अब वह सियार सारे मांस को बहुत दिनों तक खाता रहा.

सिख:– चाहे कठिन से कठिन कार्य क्यों न हो अपनी बुद्धि और चतुराई से उसे आसानी से हल किया जा सकता है.

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