gayatri mantra : गायत्री मंत्र पढ़ें हिंदी में और जाने क्या-क्या लाभ हैं इसके ?

gayatri mantra: वेद शास्त्रों के अनुसार इस वेद मंत्र के नियमित जाप से मन की शांति ही नहीं बल्कि अनेकों तरह के से कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.

इस मंत्र के जाप से आस-पास नकारात्मक उर्जा समाप्त हो जाती है. और सकारात्मक उर्जा का उत्सर्जन होती है.

इस वेद मंत्र गायत्री महामंत्र के बारे में सारे वेद शास्त्रों और पुराणों एक मत से कहा गया है. कि जो कोई भी नियमित सूर्योदय के 2 घंटे से लेकर सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक उगते सूर्य का ध्यान करते हुए जप करे तो उसके जीवन के सारे अभाव तो दूर हो ही जाते हैं.

साथ ही साथ माँ गायत्री की कृपा से जप करने वाले साधक को ये 10 वरदान स्वतः ही मिलने लगते हैं.

शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र (gayatri mantram) को वेदों का सर्वश्रेठ मंत्र बताया गया है.

इसके जप के लिए तीन समय बताये गए हैं.

गायत्री मंत्र का जप का पहला समय है प्रातःकाल, सूर्योदय से 2 घंटे पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए.

दूसरा समय है दोपहर का , दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है.

और तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले मंत्र का जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए.

गायत्री मंत्र : gayatri mantra in hindi

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्

इस मंत्र का 10 नियम लाभ और वरदान नीचे दर्शाया गया है :

1. हर परेशानी हो जाती है दूर , नियमित गायत्री मंत्र का जप करने वाले साधक के जीवन की सभी समस्याएं , परेशानियां हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म हो जाती है.

2. गायत्री मंत्र का जप करते समय अगर सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के तेज का ध्यान करते हुए भाव करे तो
परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित कर रहा है | इससे साधक के जीवन में कभी भी अंधकार प्रवेश नहीं कर पाता.

3. यदि किसी रोग से मुक्ति जल्दी चाहते हैं तो किसी भी शुभ मुहूर्त में एक कांसे के पात्र में स्वच्छ जल भरकर रख लें ,एवं उसके सामने लाल आसन पर बैठकर गायत्री मंत्र के साथ ‘ ऐं ह्रीं क्लीं ‘ का संपुट लगाकर गायत्री मंत्र का जप करें. जप के पश्चात जल से भरे पात्र का सेवन करने से गंभीर से गंभीर रोग का नाश हो जाता है. यही जल किसी अन्य रोगी को पिला देने से उसका रोग भी नाश हो जाता है.

4. विद्यार्थियों के लिए यह गायत्री मंत्र सर्वोत्तम बताया गया है. रोज इस मंत्र का 108 बार जप करने से विद्यार्थी को सभी प्रकार की विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है. और साथ ही साथ मन की एकाग्रता बढ़ती है. जिससे पढ़ने में मन लगने लगता है. एक बार में ही पढ़ा हुआ याद हो जाता है.

5. व्यापार, नौकरी में हानि हो रही है या किसी भी कार्य में असफलता का सामना करना पढ़ रहा है. आमदनी कम है तथा अधिक व्यव अधिक है तो गायत्री मंत्र का जप करें, इससे शीघ्र लाभ. इसके साथ ही रविवार को अस्वाद व्रत भी रखें.

6. किसी भी शुभ मुहूर्त में दूध, दही , घी एवं शहद को मिलाकर 1000 गायत्री मंत्रों के साथ हवन करने से चेचक ,
आँखों के रोग एवं पेट के रोग समाप्त हो जाते हैं. इसमें समिधाएं पीपल की होना चाहिए. गायत्री मंत्रों के साथ नारियल का बुरा एवं घी का हवन करने से शत्रुओं का नाश होता जाता है. नारियल के बुरे में यदि शहद का प्रयोग किया जाए तो सौभाग्य में वृद्धि होती है.

7. शत्रुओं के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं तो , मंगलवार, अमावस्या अथवा रविवार को लाल वस्त्र पहनकर माता दुर्गा का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र के आगे एवं पीछे ‘क्लीं ‘ बीज मंत्र का तीन बार सम्पुट  लगाकर 108 बार रोज जप करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी.

8.यदि विवाह में देरी हो रही हो तो सोमवार को सुबह के समय पीले वस्त्र धारण कर माता पार्वती का ध्यान करते हुए  ‘ह्रीं ‘ बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर 108 बार जप करने से विवाह कार्य में आने वाली समस्त बाधाएं दूर हो जाती है. यह साधना स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं.

9. जो भी व्यक्ति गायत्री मंत्र का नियमित जप करता है उसकी स्वतः ही चमक आने लगती है. नेत्रों में तेज आता है ,
अनेक सूक्ष्म सिद्धि की प्राप्ति होती है , क्रोध शांत होता है , एवं दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है.

10. अगर किसी दंपति को संतान सुख नहीं मिल रहा है तो पति-पत्नी दोनों 1 माह तक सूर्योदय से पूर्व 1100 बार संतान प्राप्ति की कामना से गायत्री मंत्र का जप ‘यौं’ बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर करें, जप के समय दोनों (पति और पत्नी) सफ़ेद वस्त्र ही धारण करें.

।। जय गायत्री माता ।।

source: patrika.com

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