monster story: किसी नगर में भद्रसेन नाम का एक राजा रहता था. उसकी रत्नवती नाम की एक पुत्री थी. वह बहुत ही सुन्दर और गुणवान थी.
जिसे एक राक्षस हर लेना चाहता था. और रात को आकर हमेशा उसको परेशान करता रहता. मंत्रो की बंधन से बंधे होने के कारण उसके पास जा नहीं सकता था. और दूर से ही आकर चला जाता.
इसी तरह समय बीतता गया.
जब एक दिन राक्षस मध्यरात्री के समय में राजकुमारी के कक्ष में चुपके से पहरेदारों से बचते-बचते आ कर किसी कोने में छुपा हुआ था.
तब राजकुमारी कहती है–” हे सखी ! कोई विकाल नाम का राक्षस मुझे रोज इस समय तंग करता है. क्या इस बदमाश से बचने का कोई उपाय है ? ”
यह सुनकर राक्षस सोचता है कि–” शायद मेरे जैसा कोई और विकाल नाम का राक्षस रहता होगा. जो रोज राजकुमारी को तंग करता है. मुझे पता करना होगा कि वह दिखता कैसा है ? उसकी शक्ति कैसी है ? ”
यह सोचते हुए घोड़ों के अस्तबल में चला जाता है. और घोड़े का रूप धारण कर घोड़ों के बीच रहने लगता है.
तभी एक दिन चोर चोरी करने के लिए राजमहल में घूस आता है. और अस्तबल में से गुजरते हुए वह सब घोड़ों के बीच उस राक्षसरूपी घोड़े को देखकर कहता है –” अरे ! इतना सुंदर घोड़ा मैंने आज तक नहीं देखा था.
यह कहकर उसमें बैठ जाता है. यह देख राक्षसरूपी घोड़ा सोचता है कि यही वो विकाल राक्षस होगा जो राजकुमारी को तंग करता है. इसने मुझे पहचान लिया होगा ,, इसलिए मेरे ऊपर मुझे मारने के लिए बैठ गया. अब मैं क्या करूँ ?
जब वह सोच ही रहा था कि. उस चोर ने अपने हाथ में चाबुक लेकर उस घोड़े पर चलाया. और वह घोड़ा भागने लगा. जाते-जाते कुछ दूरी पर उसने घोड़े की लगाम खीचकर रोकने की कोशिश की. मगर वह घोड़ा और भी तेज भागता गया.
इस पर चोर ने सोचा–” अरे ! कोई भी घोड़ा लगाम से रूक जाता है. किन्तु यह तो और तेज भागता जा रहा है. अवश्य ही यह कोई मायावी राक्षस होगा जो मुझे मारने के लिए किसी पहाड़ या चट्टानों पर ले जा रहा है.
यह सोच ही रहा था. कि घोड़ा एक बरगद के पेड़ के नीचे से गुजरते हुए गया. चोर उससे बचने के लिए झट से उस बरगद के शाखाओं को पकड़ लिया. और बच गया.
उसी पेड़ में उस राक्षस का एक मित्र बंदर रहता था.
उसे भागते देख कहा–” अरे मित्र ! रुको यह कोई राक्षस नहीं हैं यह तो एक मामूली सा चोर है. एक मनुष्य जिसे तुम आसानी से खा सकते हो.
यह सुनकर थोड़े समय वहीं पर रुका.
बंदर के बात को सुनकर चोर बहुत गुस्सा हुआ और लटकती हुई उसकी पूंछ को अपने मूंह से चबाता रहा. वह बंदर टहनियों के ऊपर बैठा हुआ था और उसकी पूंछ नीचे चोर के मुंह के पास थी जिससे उसे पता न चला और वह बंदर दर्द से कराह रहा था. मगर राक्षस के सामने उस चोर की शक्ति को कम बताने के लिए चुप-चाप बैठा रहा.
राक्षस उसे देखकर कहा—” अरे बंदर ! चाहे तू कितना ही छुपा ले मगर तेरा तखलीफ़ साफ़-साफ़ तेरे चेहरे पर दिखाई दे रहा है. तुझे इस विकाल नाम के राक्षस ने पकड़ लिया है. ”
यह कहकर राक्षस वहां से भाग जाता है .
यह भी पढ़ें –