Elephant and sparrow story: किसी जंगल में एक पेड़ पर गौरेया (पक्षी) का एक जोड़ा घोसलां बना कर रहता था. समयांतराल वह पक्षी अंडे देने लगी और उसको से कर उसमें से बच्चे को जन्म दिया. और वह दोनों पक्षी अपने बच्चे को छोड़कर हर-रोज की तरह अपने और अपने बच्चे के लिए खाने के तलाश में कहीं गए थे.
ठीक उसी समय एक सरफिरा हांथी गर्मी से बेहाल किसी पेड़ की छांव तलाश कर रहा था. तो उसे वह पेड़ दिखाई दिया जिसमें उस पक्षी के छोटे-छोटे बच्चे थे.

वह हांथी उस पेड़ के निचे कुछ समय के लिए रुका और गर्मी के वजह से उसके पीठ खुजाने लगा तो वह हाथी अपने पीठ खुजाने के लिए उस पेड़ पर अपने पीठ को जोर-जोर से रगड़ने लगा और अपनी सूंड ऊपर कर पत्तियों और डालियों को तोड़ने लगा. जिससे वह घोसलां जिसमें बच्चे थे वह गिर गया और हाथीं के पैरों के निचे कुचला गया.
जब दोनों पक्षी वापिस अपने घोसलें की ओर आते और देखते हैं की उनका बच्चा निचे मरा हुआ. और हाथीं को भागते हुए देख कर समझ गए की वह पागल हाथीं अपने बच्चे को मार दिया. वह गोरेय्या बहुत रोने लगे चिल्लाने लगे.
तभी उनकी चीख सुनकर उनके प्रिय मित्र कठफोड़वा (पक्षी) आया और कहा हे मित्र इतने उदास क्यों हो और तुम दोनों क्यों रो रहे हो. वह गोरेय्या अपना सारा दुःखद घटना अपने मित्र काठफोड़वा को सुनाया.
और कहा हे मित्र. अगर तुम मेरे सच्चे मित्र हो तो मेरी मदद करो उस पागल हाथी को मारने के लिए. कठफोड़वा ने कहा चिंता मत करो मित्र ये भी कोई कहने की बात है. मैं कुछ तरकीब निकालता हूं.
और कहा चलो मेरे साथ और वे दोनों निकल गए अपने एक मित्र वीणाखी नाम की एक मक्खी के पास.
जब उन दोनों को देख वीणाखी कहने लगी क्या हुआ मित्र कठफोड़वा. कठफोड़वा ने कहा हे मित्र यह गोरय्या मेरा प्यारा साथी है एक पागल हांथीने इसके सारे बच्चे को मार दिया इसलिए हम आपके पास मदद के लिए आये हैं. जिससे उस हाथीं से बदला ले सके. अब वह वीणाखी बोलती है. उस पागल हाथीं के लिए हमें एक और साथी की जरुरत है हमारा मेढंक. चलो उसी के पास जाते हैं.
ऐसा कह कर सभी उस मेढक के पास चले गए अपनी सारी घटना उस मेढक को बताये और सभी ने मिलकर एक योजना बनाई. मेढक थोड़ी होशियार थी और उसने कहा हे वीणाखी मित्र तुम दोपहर के समय जब हाथीं प्यासा हो ठीक उसी समय उसके कानो में जाना और ऐसे गुनगुनाना की उस मधुर धुन में उसकी आँखे बंद होने के लिए विवश हो जाए. और जब आँखे बंद होने लगी ठीक उसी समय कठफोड़वा मित्र उस पागल हांथी के आँखों को फोड़कर उसे अंधा बना देगा.

उसके बाद जब पानी प्यास से व्याकुल हाथीं निश्चित ही पानी की तालाश में जाएगा ठीक उसी समय हम सभी मेढक गण किसी ऐसे गड्डे (दलदल) के पास जाकर चिल्लायेगें जिससे वह हाथीं तालाब या झील समझ कर वहां पर आये और उस दलदल में फंस जायेगा.
यह सब बातें कर अपने प्लान के मुताबिक करने लगे वह हांथी जब बैठा था ठीक उसी उसके कानों में वह मक्खी जोर-जोर से गुनगुनाने लगी और वह हाथीं आनंद से अपनी आँख बंद कर लिया उसी समय आकर कठफोड़वा उसके दोनों आँखे नोचकर अँधा कर दिया और वह हाथीं दोपहर के कड़ी धूप में प्यास से व्याकुल पानी की तालाश में इधर-उधर भागने लगा.
ठीक उसी समय कहानुसार मेढक भी अपनी आवाज में चिलाने लगा उस अंधे हाथी को लगा की वहां पर कोई तालाब होगा तो मैं उस तालाब के पानी से अपना प्यास बुझा सकूं यही सोचकर जब अँधा हाथीं उस मेढक की ओर बड़ा जैसे ही वहा पहुंचा एक बड़े से दलदल में गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई.
सिख:- चाहे व्यक्ति कितना ही छोटा क्यों न हो अगर एक साथ मिलकर मुकाबला करे तो बड़ा-से-बड़ा संकट आसानी से टाला जा सकता है. ठीक उरी तरह अपना शत्रु कितना बड़ा क्यों न हो अपनी एकता की ताकत से उसे ख़त्म किया जा सकता है. जैसे छोटे-छोटे इन गौरेया. कठफोड़वा. मक्खी. औए मेढक ने कर दिखाया उस सरफिरा हाथीं को मारकर.
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