desire story : Ek Lakadhara Ki – हिंदी कहानी तीन इच्छाओं की

desire story: बहुत पुरानी बात है. एक घने जंगल के बाहरी हिस्से में एक आदमी और उसकी पत्नी शांति से अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे. पुरे साल वे दोनों लकड़ी काटने का काम करते थे.

हर सुबह सूरज उगता है. और वे जंगल में चले जाते. वंहा वे पेड़ काटते और उनकी लकड़ियों के गट्टर बनाते. शाम के समय वे उन्हें घर ले जाने का काम करते. काम कितना कठिन है. और कितनी देर तक चलता है. इसका उन पर कोई असर नहीं पड़ता था इतना काम करने के बावजूद भी उन्हें कई बार भूखा ही रहना पड़ता था.

एक दिन सुबह वे जंगल में अपना काम कर रहे थे. तभी उन्होंने बहुत ही धीमे स्वर में एक पुकार सुनी. “मदद  करो ,मदद करो, कोई है जो मेरी मदद करे ” ऐसा लगा की यह आवाज पास ही गिरे पुराने पेड़ से आ रही थी.

वह आदमी और उसकी पत्नी दौड़कर उस पेड़ के पास गए. वंहा जमीन पर पड़ा एक छोटा सा भूत अपनी टांगो से पेड़ को धक्का देने की कोशिश कर रहा था. उसकी पूंछ गिरे हुए पेड़ के नीचे फंसी हुई थी. आवाज लगा रही थी ” मदद करो-मदद करो ” थका हारा भूत रोते-रोते हुए बोल रहा था. हमें तुम्हारी मदद करके अछा लगेगा.

उस आदमी और उसकी पत्नी दोनों ने एक साथ कहा ! और वे उस पेड़ को तब तक धक्का देते रहे जब तक पेड़ लुडक नहीं गया. भूत सीधे हवा में उछल गया. अपनी मस्ती में मस्त होकर अपनी पूंछ लहराने लगा. आपने मुझ पर जो दया की इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. वह बोला. जब से यह पेड़ गिरा है तब से मैं यंहा पड़ा कष्ट पा रहा था. आपने मेरी जान बचाई इसके लिए धन्यवाद. मैं आपकी तीन इच्छाएं पूरी करूंगा. ये इच्छाएं तीन ही होंगे तो ठीक से सोच-विचार का मांगना मेरे दोस्त, अच्छा चलता हूँ.

इसके बाद वह टहनियों के बीच उड़ा और गायब हो गया शाम के समय वे घर गट्ठर उठाये घर आ रहे थे. आदमी ने सोचा..” हमें इन लकड़ियों   को ढोने के लिए एक गधे की मांग करनी चाहिए. या फिर चलने के लिए एक घोड़े व गाडी की. यह बढिया रहेगा. यह उसने अपने आप से कहा और पीठ पर लदा लकड़ी का गट्ठर उसे हल्का लगने लगा.

जब वे घर के अन्दर आ गए. आदमी और उसकी पत्नी ने अपनी तीन इच्छायों के बारे में चर्चा शुरू की. हमें अच्छे कपडे और चांदी वरदान मांगना चाहिए. पत्नी ने कहा या फिर बहुत सुंदर फूलों वाले बगीचे व फलदार वृक्षों वाला एक बहुत बड़ा मकान. या फिर लकड़ी उठाने के लिए एक गधा की मांग. या फिर चलाने के लिए घोडा-गाड़ी.

आदमी ने कहा या हम गहनों से भरे एक बहुत बड़े संदूक की मांग कर सकते हैं. पत्नी बोली या सोने के सिक्कों का एक पहाड़, आदमी बोला हमें यह मांगना चाहिए कि अब हमें कभी-भी भूखा नहीं रहना पड़े.

पत्नी ने कहा — ” यह ठीक है आदमी बोला, लेकिन अभी मेरी इच्छा हो रही है की काश हमारे पास रात के खाने के लिए मांस के टुकड़े से भरी एक कढ़ाही होती.” यह कहना हुआ तभी अचानक उसी क्षण. मांस के टुकडो से भरी एक कढाही प्रकट हो गई. अंगीठी पर उनकी सिकाई हो रही थी और धुंवा भी निकल रहा था.

“ओह ! मूर्ख ,” पत्नी चिल्लाई , देखो यह तुमने क्या कर दिया. अब मेरी यह इच्छा कैसे पूरी हो कि ये मांस के टुकड़े तुम्हारी बड़ी सी नाक पर लटक जाए. जैसे ही उसने यह कहा और हो गया. मांस के टुकड़े कढाही से उछल कर आदमी की नाक में लटक गया.

ओह ! भाग्यवान , यह तुमने क्या कर दिया. वह चिल्लाया ,अब मुर्ख कौन है बताओ ? आदमी और उसकी पत्नी ने मांस के टुकड़े को नाक से हटाने की हर संभव कोशिश की. जितनी खींचतान हो सकती थी उन्होंने की. लेकिन उनके सारे प्रयास व्यर्थ के व्यर्थ ही रह गए.

मांस के टुकड़े अभी भी उस बेचारे आदमी की नाक पर लटके हुए थी. और अंत में थक-हार कर वह आदमी और उसकी पत्नी आग के  सामने गिर पड़े.

उन्होंने बड़ी उम्मीद के साथ अपनी तीसरी और आखिरी इचा के बारे में सोचा ! क्या यह इच्छा लकड़ियों  को उठाकर ले जाने के लिए गधे की हो ? घोडा और गाड़ी चलाने दोनों चलाने के लिए हो. बहुत बड़ा मकान हो. अच्छे कपडे व गहने हो. या सोने के सिक्कों का पहाड़ हो. अभी भी इन सभी इच्छाओं में से कोई अपनी हो सकती है.

लेकिन क्या यह अच्छी बात होगी कि जीवन भर आदमी की नाक पर मांस के टुकड़े लटकते रहें. दोनों ने मिलकर अंतिम इच्छा के लिए प्रार्थना की. कि नाक पर लटकते हुए मांस के टुकड़े अलग हो जाए. इतना कहते ही मांस के टुकड़े नाक से अलग हो गया.. और गायब हो गया. इनकी तीनो इच्छा ख़त्म हो गयी.

अब दोनों पति और पत्नी को पछताते हुए खली पेट ही सोना  पड़ा.

सिख:-तो मेरे प्यारे दोस्तों इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें कभी भी किसी काम में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. हमेशा धैर्य से काम लेना चाहिए.

क्योंकि जल्दबाजी काम करने से हमेशा काम बिगड़ता है. जैसे इन दो पति और पत्नियों की.

अगर ये धैर्य से काम लेते तो तीनो इच्छओं को पा सकते थे.. धन्यवाद ….!

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