crow and owl story : कौवे और उल्लू का बैर – पंचतंत्र

crow and owl story: एक समय की बात है जब एक बार हंस. तोता. बगले कोयल. चातक. उल्लू. मोर. कबूत्तर. परेवा. और मुर्गा सभी पक्षी एक जगह पर इकट्ठे होकर विचारने लगे कि हमारा राजा गरुण तो हमेशा भगवन विष्णु के सेवा में लगे रहते हैं.

हमारी कभी चिंता भी नहीं करते. ऐसे व्यर्थ के मालिक से क्या लाभ जो शिकारी के जाल से बंधते हुए कभी हमारी रक्षा भी नहीं करते. इसलिए हम सब पक्षियों को सोच-विचार कर किसी दुसरे पक्षी को अपना राजा बनाया जाए.

यह कहने के बाद सभी पक्षी एक अच्छी सकल वाले उल्लू को देखकर कहने लगे कि आज से हमारा राजा यह उल्लू होगा. इसलिए राज तिलक में लगने वाले सभी चीजें लाओ.

यह निर्णय करने के बाद उल्लू के राज सिहासन के लिए अनेकों तीर्थ से जल लाये गए. एक सौ आठ औष-घियोंकी जड़ों से सामग्री बनी गई. सिहांसन को खूब सजाया गया. सात द्वीपों वाली पृथ्वी का व्याघ्रचर्म फैलाया गया. मंडल चित्रित किया गया. विचित्र पर्वतों सहित सोने का घड़ा भरा गया. दीप. घी.अगरबत्ती. और शीशे जैसी मांगलिक वस्तुएं तैयार की गई. स्तुति-पाठ करने के लिए अनकों ब्राम्हणों को बुलाया गया.

वे एक स्वर में वेद-शास्त्र पड़ने लगे. युवतियां गीत गाने लगी और नृत्य करने लगी. कृकालिका नाम की पटरानी को लाया गया और जैसे ही राजतिलक के लिए उल्लू राज-सिहांसन पर बैठ रहा था. कि कहीं से उड़ता हुआ एक कौआ आ पहुंचा.

और कहने लगा कि अरे पक्षियों का यह मेला और महोत्सव किसलिए हो रहा है ? 

पक्षियां उसे देखकर आपस में कहने लगे–“पक्षियों में कौआ बहुत चतुर है. ऐसा सुना गया है. इसलिए हमें इसकी बात माननी चाहिए.

बाद में कौवे ने आकर उनसे कहा–” महाजनों का यह सम्मलेन और परम महोत्सव किसलिए हो रहा है ? “

उन पक्षियों ने उत्तर दिया — ” अरे ! पक्षियों का कोई राजा नहीं है. इसलिए सब पक्षियों ने उल्लू को अपने राजा के रूप में स्वीकार कर उनका राजतिलक करने का निश्चय किया है. अब तू अपना राय बता. तू ठीक समय पर आया है.

इतने में कोवें अपनी चतुराई दिखाई और कहने लगा कि हमारे बीच में इतने सारे सुंदर पक्षी मोर. हंस. कोकिल. चकवा. तोता. हारिल. सारस. आदि मुख्य पक्षी के होते हुए भी. उस दिन के अंधे और बदसूरत पक्षी को अपने राजा के रूप में मेरी सहमती नहीं है. और फिर हमारा राजा गरुण के होते हुए इस अंधे उल्लू को किस लिए राजा बनाया जा रहा है ? ” 

यह शायद गुणवान हो सकता है. पर एक राजा के होते हुए दूसरा राजा चुनना ठीक नहीं है. अगर एक सूर्य के होते और दूसरा सूर्य रहे तो दुनिया का विनाश निश्चित है. इसी तरह हमारा राजा गरुण के होते इस नीच. कटु शब्द वाले उल्लू को राजा बनाया जाए तो हम सबका विनाश निश्चित है. उसके बाद कौवे की बात सुनकर सभी पक्षी उड़कर चले गए सिवाय दो पक्षी उसकी पटरानी कृकालिका और उस कौवे को छोड़कर.

यह देखकर उल्लू ने कहा मेरा राज्यभिषेक क्यों नहीं हो रहा है.

तभी कृकालिका ने कहा–” मित्र ! एक कोवे ने आकर आपके बारे में सभी पक्षियों को भला-बुरा कहा है. जिससे सभी पक्षी छोड़कर चले गए. तभी उल्लू ने उस कौवें से कहा अरे दुष्ट कौवें मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था. जो मेरा राज्यतिलक भी नहीं होने दिया. जा आज से तेरा और मेरा जन्मजन्मांतर तक बैर रहेगा.

यह कहने के बाद उल्लू और क्रिकालिका वहां से चले गए.

सके बाद अकेला बैठकर कौआ बहुत चिंतित हुआ और सोचने लगा कि दूसरों के मामले में हमें कभी भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए जिससे उन्हें दुःख पहुंचे. मैंने आकरण ही बेचारे उस उल्लू से दुश्मनी कर बैठा. यह सोचते-सोचते कौवा भी वहां से चला गया.

तभी से उल्लुओं और कौवों में बैर बना रहता है .

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