cinderella ki kahani: एक समय की बात है. एक गाँव में एक बहुत बड़ा व्यापारी रहता था. उसकी एक सुंदर सी प्यारी बेटी थी. उसका नाम एला था. लाड-प्यार से पालकर रखा था. उसे बहुत प्यार करता था. उसकी माँ का देहांत उसके बचपन में ही हो चुका था.
उसे कभी भी उसकी माँ की कमी महसूस होने नहीं दिया. फिर भी उसकी माँ की याद आती रहती थी.वह व्यापारी अक्सर काम के सिलसिले से बाहर जाया करता था. उस व्यापारी ने सोचा कि. इसको माँ की बहुत जरुरत है. इसलिए उस व्यापारी ने दूसरी शादी करने का फैसला किया. और उसने शादी कर ली. उसकी दूसरी पत्नी की दो बच्चियां थी. जो एला से कम सुंदर थी. एक दिन व्यापारी को कुछ काम से बाहर जाना पड़ा.
बहुत दिन बीत जाने के बाद भी. एला के पिता जी का पता नहीं चला. उन्होंने सोचा की उनके पिता को कुछ हो गया न हो. तभी उसकी सौतेली माँ बोली की तुम्हारे पिता जी इस दुनिया से चले गए. ये सब बात सुनकर बेचारी एला के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ मानो टूट पड़ा. वही उनके पिता एक सहारा थे. जो उसको बहुत प्यार करते थे. उसके पिता के चले जाने के बाद एला के साथ उनकी बहने और सौतेली मां ने अपना राज जमाना शुरू कर दिया. हमेशा उस पर अपना हुक्म चलाते,अपना सारा काम करवाते. जैसे घर का काम और अपना कपडा धुलवाना सभी काम करवाते थे.
जो एला पहले एक राजकुमारी की तरह रहती थी. उसकी अब एक नौकरानी से भी बत्तर जीवन बन गया था. उसका कोई दोस्त भी नहीं था. सिवाय उसके पास एक छोटी सी नन्ही चिड़िया और दो चूहे थे. कभी-कभी समय मिल जाता तो वह उनसे खेलती रहती थी. हमेशा दिन भर काम करके थक जाने के बाद वह अक्सर अंगीठी के किनारे बैठकर सो जाती थी. रात भर की नींद के बाद सुबह उठते ही उसके कपड़ों में वह अंगीठी (सिन्डर)उसके ऊपर लगा रहता था. ये सब देखकर उसके दो बहने हसने लगी. और चिड़ाने लगी. और बोली की तुम्हारा नाम तो सिन्डर एला होना चाहिए.
तभी से धीरे-धीरे उसका नाम सिंड्रेला हो गया. उस बेचारी के पिता न होने के बजाय से उसको बहुत ही दुःख परेशानियों का सामना करना पड़ता था. उसकी सौतेली माँ और बहने हमेशा उससे नौकरों की तरह बर्ताव करते. खाने को भी ढंग से देते नहीं थे. जब कुछ बच जाता तो उनमें से कुछ खा लेती थी. और पहनने को भी पुराने फटे हुए कपड़े को देते उसके सारे नए कपड़े को उसकी दोनों बहने ले जाती थी. एला बेचारी अपने माता-पिता को बहुत याद करती और उस अंगीठी के पास जाकर रोने लगती.
कुछ समय बीतने के बाद..एक दिन उस राज्य में एक जलसा का घोषणा कराया गया कि. उस जलसे में कुँवारी कन्याओं को बुलाया जाएगा. उनमे से जिस कन्याओं को राजकुमार पसंद करेगा. उनसे वह विवाह करेगा. यह घोषणा सुनकर गाँव के सभी लडकियां खुश हो गयीं और तैयारी करने लगी उस जलसे में जाने की. एला की उन दोनों सौतेले बहने भी सुन कर जाने को तैयार होने लगी. एला भी जाने को उसकी सौतेली माँ से बोली. तो वह उसे यह कहकर मना कर दिया की. घर में ढेर सारा काम भरा पड़ा है इसको कौन करेगा ? तीनो माँ और बेटी राजभवन की ओर निकल गए. एला बेचारी हताश होकर रोज की तरह सारे काम करके वही अंगीठी के पास जाकर बैठ गयी और रोने लगी.
तभी अचानक वंहा एक कुछ प्रकाश दिखाई दी. आँखे चकोंध हो जाने वाली,जिसमे से एक प्यारी परि प्रकट हुई. उसने एला को कहा क्या है ? तुम्हे क्या परेशानी है ? एला दुखी मन से अपनी पुरी बात बताई,बस इतनी सी बात है. “
परि ने कहा !” परि ने अपनी जादुई छड़ी झट से घुमाई और एला के कपड़े एक सुंदर राजकुमारी की तरह बदल दी. उसके लिए वंहा पर पड़ा कद्दू को उसके लिए बग्गी बनाई,और उसके चेहरे और आँख के लिए,एक नकाब बनायीं. उसके पैरों के लिए कांच के जुते बनाये. इतने में एला एकदम महलों की राजकुमारी सी बन गयी और राजभवन जाने के लिए तैयार भी हो गयी. कुछ समय बाद राजभवन पहुचते ही. वंहा के सारे लोग उसे देखते ही उनकी आँखे चकाचौंध हो गयी. राजकुमार भी उसे दखते ही रह गया पहली नज़र में ही उससे प्रेम हो गया राजकुमार उसे नृत्य के लिए आग्रह किया वे दोनों एक साथ बहुत समय तक नृत्य करते रहे.
एला को अचानक परि की कही हुई बात याद आ गई कि यह जादू 12 बजे तक ही रहेंगे. उसके बाद ख़त्म हो जायंगे. इसलिए तुम किसी भी हाल में 12 बजे से पहले आ जाना. ये बात याद कर एला जल्दी से राजकुमार का हांथ छुड़ाकर भागने लगी,हड़बड़ी में एला की एक कांच की जूती छुट गयी. और वंहा से एला भाग निकली. जैसे ही एला घर पहुंची. उस जादू का सारा असर ख़त्म हो चूका था. वह एला दुबारा अपने असली रूप में आ गयी और चूहा कद्दू भी अपने असली रूप में आ गये पर एला उतने में ही बहुत खुश थी.
राजकुमार रात को सोते समय उसी एला के बारे में सोचते रहे और परेशान थे. कि आंखिर वो कन्या आई तो आई कंहा से ! जैसे ही सुबह हुई राजकुमार अपने सैनिको को आदेश दिया कि. वो उस कन्या को ढूड निकाले. अपने राजा के आदेश पर सभी सैनिक उस कन्या को ढूडने के लिए चले गए मगर वह कन्या कहीं मिली नहीं. इसलिए राजकुमार ने एक ऐलान किया. कि ये कांच की जूती जिसके पैर में लगेगा मैं उसी कन्या से विवाह करूँगा. ये सब बात सुनकर सभी कन्याएं उत्सुक थी. कि वह जूती अपने पैर में लग जाए. उनके सैनिक सभी कन्याओं के पैर में जूती पहनाकर देखा मगर किसी के पैर में नहीं लग पाया.
तभी घूमते हुए सैनिकों की नज़र एक घर के कोने में बैठी कन्या पर पड़ी जब उसके पैर में उस जुती को पहनाकर देखा तो जूती उसके पैरों में पूरी तरह लग जाता है. सैनिक तुरंत राजकुमार को खबर पहुचाते है कि. वह कन्या मिल गयी है जिसे आप ढूंड रहे हैं.
सैनिकों की खबर सुनकर राजकुमार तुरंत एला के घर पहुँच गया और एला को अपने राजभवन में सम्मान के साथ लाकर उनके साथ विवाह किया. एला के दुःख देने वाले उन तीनो माँ बेटियों को राज्य से बहार निकाल दिया गया.
अब सिंड्रेला राजकुमार के साथ ख़ुशी-ख़ुशी के साथ रहने लगी,एला की सारी परेशानी अब दूर हो चुकी थी. और उसकी सौतेली माँ और बहने को भी उनकी सजा मिल गयी.
तो दोस्तों ये थी एक प्यारी सी सिंड्रेला की कहानी कैसे लगी आपको आप जरुर कमेन्ट में बताये और शेयर करना न भूले धन्यवाद .
सिख:-तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें कभी भी दूसरों के साथ से दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए. उनकी मदद करनी चाहिए. क्योंकि बुरा करने से उसका परिणाम भी बुरा ही निकलता है.
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