chidiya ki kahani : चिड़िया और किसान की कहानी

chidiya ki kahani: दोस्तों आज मैं एक चिड़िया की छोटी सी प्रेरणादायक कहानी शेयर करने जा रहा हूँ. जिसमें चिड़िया की जिंदगी में जो घटना घटती है.

उससे हम सबको एक सिख मिलती है कि. हमें अपने काम को दूसरों पर डाल कर वक्त जाया नहीं करना चाहिये. क्योंकि जरुरी नहीं है की दुसरे हमारे काम को सही समय पर कर दें.

अपने काम को दूसरों पर सौपने के बजाय स्वयं करना चाहिए. जिससे सही समय पर हो सकें..

दोस्तों कहानी को पूरी तरह से समझने के लिए आइये चलते हैं कहानी की ओर….

चिड़िया और किसान की कहानी – chidiya ki kahani

एक समय की बात है एक गांव में नंदू नाम का एक किसान रहता था. उसके पास एक छोटा सा खेत था. जिसमें गेहूं की फसल लगाया था.

फसल लगाने के कुछ ही दिनों में एक चिड़िया उसके खेत में घोसला बनाकर रहने लगी.

और कुछ दिन बाद दो अंडे दिए. वह चिड़िया अंडे को सेती रही.

उसके कुछ दिन बाद ही उसमें से चिड़िया के दो बच्चे निकल आये. अब चिड़िया उनके और अपने भोजन की तालाश में रोज की तरह कहीं दूर चली जाती. और शाम को भोजन लाकर वापिस अपने बच्चों के पास घोसले पर आ जाती.

इसी तरह समय गुजरता गया. किसान का फसल भी अब कटने के लिए तैयार हो गया था.

तभी एक दिन किसान अपनी फसल देखने आया. अपनी फसल को कटने लिए तैयार देख. अपने आप बड़बड़ाने लगा–“मेरी फसल तो तैयार हो गई है. इसलिए कल ही मैं अपने पड़ोसियों से कहूंगा कि मेरी फसल को काट दे. ”

यह कहता हुआ किसान अपने घर की ओर चला गया.

उसकी बातों को सुनकर दोनों नन्हें चिड़िया घबरा गए और डर से चुप-चाप बैठे रहे. और जब शाम को उसकी माँ को आते देख बच्चे डरे हुए सहमें से उसके पास जाते हैं.

इस पर नन्हें चिड़िया को पूछती है. क्या हुआ ? मेरे बच्चे डरे हुए से क्यों हो ? ”

किसान की सारी बातें अपनी माँ को बताते हैं.

इस पर उनकी माँ कहती है–” बच्चों ! डरो मत , वह किसान नहीं आएगा , इसलिए तुम खाना खाकर चुप-चाप सो जाओ. ”

उसकी बातें सुनकर चिड़िया के बच्चे बेफिक्र होकर सो जाते हैं.

अगले सुबह फिर चिड़िया अपने बच्चों को छोड़कर खाने की तालाश में कहीं दूर चली जाती है.

उसके जाने के बाद फिर वह किसान आता है और वही बड़बड़ाता हुआ कहता है–” अरे ! मेरे पड़ौसी नहीं आये , चलो कोई बात नहीं. कल मैं अपने रिश्तेदारों को बुलाऊंगा. वे मेरे सारे फसल को काटेंगे. ”

यह बड़बड़ाता हुआ किसान अपने घर की ओर चला गया.

वही बात दोबारा सुनकर चिड़िया के बच्चे घबरा जाते हैं. और जब शाम को उसकी माँ आती है तब उसे कहते हैं–” माँ….माँ ! आज वह किसान और आया था और कह रहा था. कि कल मैं अपने रिश्तेदारों को बुलाकर सारे फसल को कटवाऊंगा. ”

उसकी माँ कहती है–” बचों डरो मत , वह किसान कल भी नहीं आएगा.

उसकी बात को सुनकर चिड़िया के बच्चे समझ जाते हैं कि माँ सही कहती है किसान बोलकर जाता है. मगर फसल की कटाई नहीं करता. और चुप-चाप सो जाते हैं. ”

इसी तरह से दिन गुजरता गया और चिड़िया के बच्चे भी बड़े होते गए.

एक सुबह फिर चिड़िया रोज की तरह खाने की तालाश में कहीं दूर चली जाती है.

उसके जाने के बाद किसान फिर दुबाराआता है, और वही बड़बड़ाता हुआ कहता है–” अरे ! मेरे रिश्तेदार भी नहीं आये , कोइ बात नहीं. मैं कल ही आकर अपने सारे फसल को काटूंगा. नहीं तो मेरे फसल ख़राब हो जायेंगे.

यह कहता हुआ किसान घर की ओर चला जाता है. ”

उसकी बात को अब भी नन्हें चिड़िया सुन लेते हैं. मगर इस बार किसान के खुद आने की बात करते देख घबरा जाते हैं. और जब शाम को उनकी माँ चिड़िया आती है बच्चे उसे किसान की सारी बात को बताते हैं.

बच्चें की बातें सुनकर चिड़िया कहती है–” बच्चों अब हमारे यहां से जाने का समय आ गया है. ”

उसकी बात को सुनकर बच्चे समझ नहीं पाते और पूछते हैं–” माँ तुम हर बार कहती हो कि किसान फसल काटने नहीं आएगा मगर इस बार क्या हुआ जो यहां से चलने की बात कह रही हो ? ”

बच्चों की बातों को सुनकर माँ कहती है–” बच्चों वह किसान हर बार अपने आप पर भरोसा न करके अपने काम को दूसरों पर सौंप देता था. और अब की बार वैसा न करके खुद काम करने का निश्चय करके गया है. वह कल अवश्य ही फसल काटने आएगा. इसलिए मेरे बच्चों हमें आज रात ही यहां से दूसरी जगह जाना पड़ेगा.

मेरे बच्चों मैंने पहले से ही एक घोसला बनाया हुआ है ,अतः हम वही जाकर रहेंगे.

यह कहकर चिड़िया अपने बच्चों के साथ दूसरे घोसले में चली जाती है.

दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको किसान और चिड़िया (chidiya ki kahani ) की यह छोटी सी कहानी पसंद आया होगा. अगर आपको पसंद आया होगा. तो अपने दोस्तों और फैमिली के साथ सोशल मीडिया जैसे facebook, twitter,whatsapp आदि पर ज़रूर शेयर करें.

ताकि उनको भी यह शिक्षाप्रद कहानी पड़ने को मिले धन्यवाद…

नोट:- Friends, this story is not my original, I have read this story many times on internet and book.

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