akbar aur birbal ki kahani : तोते की मौत – अकबर बीरबल की कहानियां

akbar aur birbal ki kahani : एक बार अकबर बादशाह कहीं से एक बुद्धिमान तोता खरीद लाया था.

और उसे अपने एक सुविज्ञ सेवक के हांथों सौपकर कहा–” देखो इस तोते की आब हवा और दाना पानी पर बड़ी सावधानी रखना ,इसकी प्रकृति में कुछ भी अंतर न पड़ने पावे.

इसको जरा सी भी तखलीफ़ होते ही फ़ौरन मुझे खबर कर देना. यदि कोई मेरे पास इसके मरने की खबर लाएगा तो तुरंत उसकी गर्दन कटवा दी जायेगी. ”

मगर दुर्भाग्यवश एक दिन वह तोता मर गया , बेचारा लाचार सेवक बहुत डर गया ,उसे अपनी जीवनरक्षा की कोई सूरत नहीं दिखलाई पड़ती थी , दोनों प्रकार से मृत्यु का सामना था ,”

कहने पर गर्दन काट दी जायेगी, और यदि मरने की खबर न देकर गुप्त रखूं तो किसी एक दिन भेद खुलने पर और भी दुर्गति हो सकती है. ”

लाचार अपना कुछ वश न चलते देख वह सेवक घबराये हुए तुरंत बीरबल के पास पहुंचा, और उसके सामने जाकर गिड़गिड़ाते हुए उसे सारी घटना बताया ,और उस कष्ट से छुटाकारा पाने की तरकीब पूछी.

बीरबल ने कहा–” डरो नहीं ! मैं तुमको अभयदान देता हूँ. ”

इधर नौकर का विदा कर वह तुरंत अकबर बादशाह के पास जा पहुंचा और बड़ी घबराहट के साथ बोला–” जहापनाह ! अपना तो..ता .अपना तो..ता . ”

उसकी घबराहट देखकर बादशाह बोल उठा–” क्या वह मर गया ? ”

बीरबल बात को घुमाते हुए जवाब दिया–” नहीं जहापनाह ! वह बड़ा ही बिरागी हो गया है. आज सुबह से ही अपना मुख ऊपर किये हुए है और कोई श्रंग नहीं हिलता , उसकी चोंच और आँखे भी बंद है. ”

बीरबल की ऊपर कही बातें सुनकर बादशाह ने कहा–” तब ये क्यों नहीं कहते कि तोता मर गया है. ”

बीरबल ने उत्तर दिया–” आप चाहे जो कुछ भी समझे किन्तु मेरी समझ में तो यही लगता है. कि वह मौन होकर तपस्या कर रहा है. आप चलकर स्वयं देख लेते तो ठीक होता. ”

बादशाह ने बीरबल की बात मान ली , और दोनों तोते के पास पहुंचे.

तोते की दशा देखकर बादशाह ने बीरबल से पूछा–” बीरबल ! कहने को तो तुम बड़े चतुर हो फिर भी तोते के मरने की तुम्हे खबर न मिली. यदि यही बात मुझसे पहले ही बतला दिए होते. तो मुझको यहां तक आने की क्या जरुरत पड़ती ? ”

बीरबल ने उत्तर दिया –” हे जहापनाह ! मैं लाचार था , क्योंकि यदि पहले ही बतला दिया होता तो जान से हाथ धोना पड़ता. ”

उसकी इस चालाकी से बादशाह बहुत खुश हुआ और उसको अपनी पहली आज्ञा का स्मरण हो गया  कि, “ जो तोते की मरने की खबर बताएगा उसकी ही गर्दन कटवा दी जायेगी “

मगर बीरबल की चतुराई से स्वयं बादशाह खुद बोल पड़े की तोते की मौत हो गई है.

उसने बीरबल की बड़ी प्रशंशा की और एक बड़ी सी रकम पुरस्कार में देकर उसे विदा किया.

बीरबल उसी क्षण उस रकम को तोते के रक्षक को दे दिया.

इस प्रकार बेचारे सेवक की प्राणरक्षा हुई और उसे धन भी मिला.

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