व्यापारी का पतन और उदय : पंचतंत्र की कहानी – panchatantra story in hindi

बहुत पुरानी बात है वर्धमान नामक शहर में एक बहुत ही कुशल और समृद्ध व्यापारी रहता था. राजा को उसकी क्षमताओं के बारे में पता था. इसलिए उसे उस राज्य का प्रशासक बना दिया.

वह व्यापारी अपने कुशल और बुद्धिमानी से प्रजा को बहुत खुश रखता था. और साथ ही साथ उन्होंने ने राजा को भी बहुत प्रभावित किया. कुछ दिन बाद उस व्यापारी की बेटी का विवाह तय हुआ.

उसके विवाह में व्यापारी ने अच्छी-अच्छी सजावट करवाई थी. और भव्य स्वागत की व्यवस्था भी की थी,व्यापारी ने राजा और रानी को ही नहीं  बल्कि सारे राज घराने के सम्मानित लोगो को और प्रजा को भी आमंत्रित किया था.

उन्होंने अपने आये हुए सभी मेहमानों के लिए उपहार भेंट प्रदान करने का निश्चय किया. उन्होंने अपने मेहमानो को सम्मान के साथ उपहार दिया और उनका स्वागत किया.

राज-घराने का एक सेवक ओ झाड़ू पोछा लगाने का काम करता था वह भी उस आयोजन में शामिल था वह सेवक गलती से उस कुर्सी पर बैठ गया.
जो राजघराने के मेहमानों के लिए था. व्यापारी ने उस सेवक को देख लिया और अपने नौकरों को बुलाकर उसे धक्केमार कर बाहर निकलवा दिया.
उस नौकर को भरी समाज में भारी अपमान का सामना करना पड़ा. उसे बहुत गुस्सा आया. और सर निचे करते हुए वहां से घर चला गया.
रात को सोते समय वह नौकर उसी अपमान का बदला लेने के लिए कुछ योजना बना रहा था उसको नींद भी नहीं आ रही थी.

तभी कुछ युक्ति उसकी दिमाग को सूझी कि उस व्यापारी को राजा के सामने बदनाम किया जाए. वह नौकर सुबह उठकर राज दरबार पहुंचा.
और रोज की तरह झाड़ू लगाने का काम कर रहा था राजा के कमरें में झाड़ू लगाते वक्त वह नौकर कुछ बड़बड़ाने लगा और कहने लगा की क्या ज़माना आ गया है वह व्यापारी रानी से दुर्व्यवहार करता है और कोई कुछ बोलता भी नहीं है.

ऐसे में राजा झट से उठ गया और उस नौकर से पूछने लगा. क्या रे नौकर तूने क्या कहा ?

नौकर डर से राजा के पैरों में गिर गया और माफ़ी मांगने लगा– ” मुझे माफ़ कर दो ! महराज मैं रात भर सो नहीं पाया था मुझे पता नहीं मुह से क्या निकल गया. ”
राजा ने उस नौकर को यह कहकर छोड़ दिया कि तू मेरे राजमहल को सेवक है. इसलिए तुझे छोड़ देता हूँ. वरना तुझे नौकरी से निकाल देता.
फिर भी राजा के मन में शक सा पैदा हो गया.

और उस दिन के बाद राजा ने उस व्यापारी पर प्रतिबन्ध लगाना शुरू कर दिया और उस पर निगरानी भी रखवा दिया.

जब वह व्यापारी राजमहल पहुँचता है तो राजदरबार के सैनिक उस व्यापारी को अन्दर आने से मन कर देते हैं. और धक्के मर कर बहार निकल देते हैं.
उस व्यापारी को समझ में नहीं आता कि आंखिर राजा मेरे साथ ऐसे व्यवहार क्यों कर रहे हैं. अपमानित होने के बाद वह व्यापारी अपना घर लौट आया.
और सोचने लगा मैंने उस दिन उस नौकर के साथ जो किया शायद ये उसी का परिणाम है जो मुझे अपमानित होना पडा.

उसके बाद वह व्यापारी उस नौकर के घर जाता है. और उसे दोबारा अपने घर आमंत्रित करता है. उसको ढेर सारे उपहार और अच्छा-अच्छा भोजन खिलाकर माफ़ी मांगता है और कहता है मुझे माफ कर दो मैंने तुम्हारे साथ बहुत दुर्व्यवार किया था.

नौकर ने उसे कहा –” व्यापारी मैं तुम्हे माफ़ कर देता हूं. और तुम्हारे सारे मान-सम्मान को भी वापस दिलवा दूंगा. ”

अगले ही दिन वह नौकर राजमहल पहुंचा और राजा के कमरें में झाड़ू लगाते हुए दोबारा बडबडाते हुए बोला कि हमारा राजा तो बहुत पागल है शौच करते समय ककड़ी खाता है.

यह सुनकर राजा तुरंत उठा और बोला क्या रे नौकर फिर से तुमने क्या बोला — ” वह नौकर दोबारा उसके पैरों पर लेट गया और माफ़ी मांगने लगा महराज मुझे माफ़ कर दो मैं रात भर सो नही पाया था पता नहीं मैंने क्या बोल दिया. ”
राजा ने उसे दोबारा यह कहकर छोड़ दिया कि अगर तुम हमारे सेवक न होते तो तुम्हे सूली पे लटका देता. कुछ समय बाद राजा सोचने लगा की यह नौकर तो बस यही बडबडाता रहता है.

वह व्यापारी तो पूरी प्रशाशनिक व्यवस्था पर इतना कुशल था. तो वह ये सब गलत व्यवहार कैसे कर सकता है. जरुर ही उस व्यापारी के बारे में भी इस नौकर ने गलत ही कहा होगा.

राजा ने उस व्यापारी को बुलवाया और ढेर सारे उपहारों और सम्मान के साथ उसे उस पद पर नियुक्त किया जो पहले था.

सिख:- इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है. कि हमें कभी भी किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए सभी के साथ सामान व्यवहार करना चाहिए चाहे व्यक्ति छोटे हो या बड़े.

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