Tortoise Story : किसी तालाब में कम्बुग्रीव नाम का एक कछुआ रहता था. उसके संकट और विकट नाम के हंस दो प्रिय साथी रहते थे जो सदैव उसके पास जाकर तरह-तरह के बाते करते और साथ में खेलते थे.
एक समय ऐसा आया की जब वहां पर कुछ वर्ष बारिश नहीं होने के वजह से उस तालाब का सारा पानी सुख गया. बस कीचड़-ही-कीचड़ बचा था.

तभी वह कछुआ बेचारा उदास मन से बैठा सोच रहा था. कि अब जाऊं तो जाऊं कहां. कछुए के इस दुःख भरी अवस्था को देख कर उसके दोनों साथी हंस बोले क्या हुआ मित्र इतने दुखी क्यों हो.
वह कछुआ अपना दुखड़ा उन दोनों को सुनाया. और कहा कि यहां का सारा पानी तो सुख गया है अब शायद मेरी जीने की उम्मीद भी टूट चुकी है. हे मित्र अगर मेरी चिंता है तो कोई ऐसा गहरा तालाब खोज लाओ जिसमें मैं आराम से सुख शान्ति से रह सकूं.
यह सुन दोनों हंस एक गहरी सी तालाब ढूडने निकल गए. कुछ समय बाद उन्हें कुछ ही दुरी पर एक गहरा सा तालाब मिल ही गया.
दोनो हंस ने उस कछुए को कहा — ” हे मित्र तुम इस लकड़ी के काठ को अपने मुंह से पकड़ना औए हम दोनों इसके दोनों छोर को पकड़ेंगे जिससे तुम आसानी से उस तालाब में पहुंच जायेंगे. हां मित्र मगर जाते हुए बात मत करना क्योंकि आप उस लकड़ी के काठ से गिर जायंगे. ”
उसके बाद वह कछुआ उस लकड़ी के काठ को अपने मुह से पकड़ा और दोनों हंस अपने कहानुसार लकड़ी के दोनों छोर को पकड़े और उड़ते हुए उस तालाब की ओर जाने लगे.
जाते हुए बिच में नगर वसियों की नज़र उस दोनों हंस पर पड़ी और वे चिल्लाने लगे देखो तो दोनों हंस चकोर सा क्या लेकर जा रहा है. उनके आवाज को सुनकर वह कछुआ चौकनें लगा और बोल उठा. अरे ये कैसे आवाज ये कैसा शोर है यह कह भी नहीं पाया था कि वह धड़ाम से नीचे जमीन पर गिर गया.

बहुत उंचाई होने की वजह से उसके टुकड़े-टुकड़े हो गए.
सिख:- इसलिए कहते हैं. जब भी अपने हितैषी मित्र के बात नहीं मानते वे अक्सर ही इस कछुए के सामान मृत्यु को पाते हैं.
यह भी पढ़ें –